Wednesday, December 10

पुतिन के भारत दौरे से अमेरिका में बेचैनी, वॉशिंगटन ने जताई चिंता

वॉशिंगटन/नई दिल्ली: रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के इस महीने दिल्ली दौरे ने अमेरिका को चिंतित कर दिया है। अमेरिकी थिंक टैंक अटलांटिक काउंसिल के सीनियर फेलो माइकल कुगेलमैन ने कहा कि भारत और रूस के बीच बढ़ते करीबी संबंध को वॉशिंगटन सतर्कता के साथ देख रहा है।

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कुगेलमैन ने बताया कि पुतिन के दौरे के दौरान हुए रूस-भारत शिखर सम्मेलन और इसके साथ आए सैन्य और कमर्शियल सहयोग को अमेरिका इस तरह देख सकता है कि भारत यूक्रेन में शांति प्रक्रिया को प्रभावित कर सकते हैं। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री मोदी यूक्रेन के साथ भी संपर्क बनाए हुए हैं, जो भारत की न्यूट्रल नीति को दर्शाता है।

कुगेलमैन ने अमेरिका की बेचैनी की वजह बताते हुए कहा कि दौरे का समय संवेदनशील है। क्वाड शिखर सम्मेलन टल गया, रूस के खिलाफ नए अमेरिकी प्रतिबंध लागू हुए और भारत ने पुतिन के दौरे से कुछ दिन पहले रूस से तेल खरीद कम करने का निर्णय लिया।

उन्होंने यह भी कहा कि भारत और अमेरिका के बीच नई गैस डील से अमेरिका की कुछ चिंताएं कम हो सकती हैं और भारत को कुछ रियायतें मिलने की उम्मीद है। लेकिन व्यापार और टैरिफ के मसले पर तनाव बना हुआ है। ट्रंप प्रशासन ने जापान और कनाडा समेत कई देशों पर टैरिफ लगाए हैं, जिससे भारत संभावित असर के लिए तैयार है।

कुगेलमैन ने कहा कि ट्रंप प्रशासन में भारत को लेकर सभी की राय एक जैसी नहीं है। सर्गियो गोर को भारत का राजदूत नियुक्त करना इस बात का संकेत है कि अमेरिका भारत के साथ मजबूत और स्थिर रिश्ते चाहता है।

विशेषज्ञों का मानना है कि पुतिन का भारत दौरा वैश्विक जियो-पॉलिटिकल परिदृश्य में नई दिल्ली की रणनीतिक संप्रभुता और अमेरिका के साथ संतुलन बनाए रखने की चुनौती को उजागर करता है।

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