Tuesday, December 9

9 दिसंबर—अंतर्राष्ट्रीय भ्रष्टाचार विरोधी दिवस: स्वयं से सुधार का संकल्प जरूरी

उज्जैन: भ्रष्टाचार किसी भी राष्ट्र की प्रगति में सबसे बड़ी बाधा है। यह समाज की जड़ों को खोखला कर देने वाली बीमारी के समान है। हर वर्ष 9 दिसंबर को मनाया जाने वाला अंतर्राष्ट्रीय भ्रष्टाचार विरोधी दिवस हमें यह याद दिलाता है कि पारदर्शी और न्यायपूर्ण समाज का निर्माण केवल सरकारी नीतियों से नहीं, बल्कि नागरिकों की सामूहिक चेतना से संभव है।

इतिहास में भ्रष्टाचार कभी व्यवस्था का हिस्सा बन गया था। देश के एक पूर्व प्रधानमंत्री ने स्वीकार किया था कि केंद्र से भेजे गए 1 रुपये में से गरीब तक केवल 15 पैसे ही पहुँचते थे। यह केवल आर्थिक हानि नहीं थी, बल्कि भरोसे की हत्या थी।

वर्तमान में, डिजिटल इंडिया, डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT), जीएसटी, बेनामी संपत्ति अधिनियम और भगोड़े आर्थिक अपराधी कानून जैसे कदमों ने भ्रष्टाचार पर काबू पाया है। सरकारी सेवाओं का डिजिटलीकरण और व्यापारिक प्रक्रियाओं में पारदर्शिता ने बिचौलियों और रिश्वतखोरी की गुंजाइश घटाई है।

लेकिन भ्रष्टाचार केवल सिस्टम तक सीमित नहीं है; यह मानसिक प्रवृत्ति भी है। अपनी सुविधा के लिए शॉर्टकट अपनाना हमें भी इसका हिस्सा बनाता है। इसलिए इस दिन का संदेश है—“सुधार की शुरुआत स्वयं से करनी होगी।” यदि नागरिक भ्रष्टाचार को सामाजिक रूप से बहिष्कृत कर दें, तो कोई भी भ्रष्ट तंत्र लंबे समय तक जीवित नहीं रह सकता।

भ्रष्टाचार मुक्त भारत की दिशा में मुख्य कदम:

  • नैतिक शिक्षा: स्कूल और परिवार में ईमानदारी को सर्वोच्च मूल्य बनाना।
  • व्हिसलब्लोअर सुरक्षा: भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने वालों को संरक्षण देना।
  • प्रशासनिक जवाबदेही: लोक सेवकों को जनता के प्रति जिम्मेदार बनाना।

निष्कर्ष: 9 दिसंबर केवल औपचारिक दिवस नहीं, बल्कि एक संकल्प का दिन है। भारत का गौरव और समृद्धि तभी संभव है जब प्रत्येक नागरिक भ्रष्टाचार के खिलाफ सचेत और ईमानदार बने। आइए, इस अंतर्राष्ट्रीय दिवस पर हम स्वयं से सुधार का संकल्प लें और पारदर्शी भारत का सपना साकार करें।

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