Monday, December 8

हिडमा से भी बड़ा था नक्सली रामधेर मज्जी! 12 साथियों के साथ हथियार डाल कर किया सरेंडर

रायपुर: छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद के मोर्चे पर सुरक्षाबलों को बड़ी सफलता मिली है। हिडमा के बाद बस्तर के सबसे कुख्यात नक्सली रामधेर मज्जी ने अपने 12 साथियों के साथ खैरागढ़ में सरेंडर कर दिया। सुरक्षाबलों के लिए यह आत्मसमर्पण नक्सली संगठन के लिए बड़ा झटका है।

रामधेर मज्जी कौन था?

उत्तर बस्तर डिवीजन में सक्रिय रामधेर मज्जी ने आदिवासी इलाकों से निकलकर माओवादियों का बड़ा नेता बन लिया था। इसके ऊपर लगभग एक करोड़ रुपए का इनाम था। वह एमएमसी जोन का कमांडर और कई बड़ी वारदातों का मास्टरमाइंड था। सुरक्षा के लिए उसके पास तीन लेयर की सुरक्षा होती थी और वह अक्सर AK-47 लेकर चलता था।

कैसे हुआ आत्मसमर्पण?

रामधेर मज्जी ने अपने 11 साथियों के साथ खैरागढ़ के कुम्ही गांव और बकरकट्टा थाना क्षेत्र में हथियार डालकर सरेंडर किया। उनके साथ डिविजनल कमेटी मेंबर रैंक के चंदू उसेंडी, ललिता, जानकी और प्रेम भी थे। इनमें से दो नक्सलियों के पास AK-47 और INSAS राइफल थीं।

एरिया कमेटी मेंबर (ACM) स्तर के रामसिंह दादा और सुकेश पोट्टम ने भी हथियार सौंपे। इसके अलावा पार्टी मेंबर (PM) स्तर के लक्ष्मी, शीला, योगिता, कविता और सागर भी आत्मसमर्पण करने वालों में शामिल थे। पुलिस इन सभी से पूछताछ कर उनके नेटवर्क और गतिविधियों की जानकारी जुटा रही है।

नक्सलियों में खौफ

हिडमा के एनकाउंटर के बाद नक्सलियों में डर और खौफ का माहौल है। इसी के चलते मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र के कई बड़े नक्सली अब सरेंडर करने लगे हैं। एक दिन पहले ही नक्सली नेता कबीर ने मध्य प्रदेश में अपने साथियों के साथ हथियार डालकर आत्मसमर्पण किया था।

विशेषज्ञों का कहना है कि सेंट्रल कमेटी मेंबर (CCM) का पद नक्सली संगठन में बहुत महत्वपूर्ण होता है। रामधेर जैसे बड़े नेताओं का आत्मसमर्पण संगठन के मनोबल और कार्यप्रणाली पर गहरा असर डालता है और यह स्पष्ट संकेत है कि नक्सली आंदोलन अब पहले जैसा मजबूत नहीं रहा

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