
मुर्शिदाबाद (पश्चिम बंगाल)। पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव से पहले मुर्शिदाबाद में बाबरी मस्जिद के शिलान्यास ने राजनीतिक हलचल बढ़ा दी है। टीएमसी से निष्कासित विधायक हुमायूं कबीर ने 6 दिसंबर को बेलडांगा में नई बाबरी मस्जिद की नींव रखी।
भव्य समारोह और विरोधाभासी माहौल
शिलान्यास के लिए 150 फुट लंबा और 80 फुट चौड़ा मंच तैयार किया गया। हजारों की भीड़ में कुरान की तिलावत और अल्लाह हू अकबर के नारे लगे। समर्थकों ने मंच तक ईंटें भी पहुंचाईं और “बाबरी मस्जिद जिंदाबाद” के नारे लगाए।
दिलचस्प बात यह है कि 6 दिसंबर वही तारीख़ है, जिस दिन 33 साल पहले अयोध्या में बाबरी मस्जिद ढहाई गई थी। हुमायूं कबीर ने मंच से ऐलान किया कि मुर्शिदाबाद की नई मस्जिद वैसी ही होगी जैसी पहले अयोध्या में थी। उन्होंने अपने भाषण में मीर बांकी का भी जिक्र किया।
राजनीतिक बयानबाजी और विवाद
- बीजेपी: पश्चिम बंगाल बीजेपी अध्यक्ष शमीक भट्टाचार्य ने इसे टीएमसी का नाटक बताया और कहा कि यह कदम ममता बनर्जी को संदेश देने के उद्देश्य से उठाया गया है। बीजेपी के प्रभारी अमित मालवीय ने कहा कि उत्तर बंगाल की NH-12 के पास मस्जिद निर्माण खतरनाक है और टीएमसी रणनीति के तहत इसे पुलिस सुरक्षा में बनवाया जा रहा है।
- कांग्रेस: नेता इमरान मसूद ने हुमायूं कबीर को बीजेपी का एजेंट बताते हुए आरोप लगाया कि वे केवल राजनीतिक फायदे के लिए नफरत फैलाना चाहते हैं।
- मुस्लिम संगठन: इंडो-इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन के सेक्रेटरी अतहर हुसैन ने भी हुमायूं कबीर की नीयत पर सवाल उठाया। उनका कहना है कि मस्जिद लीगल और अप्रूव्ड मैप पर बनाई जा सकती है, लेकिन सिर्फ़ बाबर के नाम पर इसे बनाना राजनीतिक मकसद है।
चुनावी पृष्ठभूमि
विशेषज्ञों के अनुसार, यह शिलान्यास पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव 2026 के संभावित माहौल को प्रभावित करने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है। राजनीतिक दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप और बयानबाजी ने इलाके में ध्रुवीकरण की संभावनाओं को बढ़ा दिया है।
यह खबर राजनीतिक और सामाजिक दोनों दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण मानी जा रही है और आने वाले महीनों में चुनावी रणनीति पर असर डाल सकती है।