गोवा के चर्चों में बदलती तस्वीर हिंदी में होने लगी प्रार्थना, प्रवासी समुदाय की ज़रूरत ने बदली परंपरा
पणजी।गोवा में हिंदी भाषी समुदाय की संख्या लगातार बढ़ने के साथ अब चर्चों में भी भाषाई बदलाव दिखाई देने लगा है। जहां पहले प्रार्थना सभा केवल अंग्रेजी या कोंकणी में होती थी, वहीं अब कई चर्चों में हिंदी मास आम हो गए हैं। बदलाव की शुरुआत वर्ष 2022 में हुई थी, जब जेसुइट पादरियों ने पहली बार हिंदी में मास करवाया। 2025 आते-आते यह पहल व्यापक रूप ले चुकी है।
‘अपनी भाषा में प्रार्थना का सुकून’
झारखंड से गोवा आई शोभा कुजूर, जो अंग्रेजी नहीं समझती थीं, बताती हैं कि पहले प्रार्थना सभा में बैठने भर से उन्हें अर्थ समझ में नहीं आता था।वह कहती हैं,“अपनी भाषा में भगवान का संदेश सुनने जैसा सुकून कहीं नहीं।”
कैरान्जालेम स्थित आवर लेडी ऑफ द रोजरी चर्च सहित कई चर्चों में अब हिंदी मास शुरू हो चुके हैं, जिससे प्रवासी समुदाय को बड़ी राहत मिली है।
प्रवासी समुदाय पर चर्च का केंद्रित ध्यान
पोप फ्रांसिस ...
