
नई दिल्ली, 01 मार्च 2025 (एसडी न्यूज़ एजेंसी)
सहजयोग, श्री माताजी निर्मला देवी द्वारा प्रतिस्थापित एक जीवंत वैज्ञानिक पद्धति है, जो जीवन को सहजता और संतुलन के साथ जीने की दिशा में मार्गदर्शन प्रदान करती है। यह न तो कोई संप्रदाय है और न ही कोई विशिष्ट योग पद्धति, बल्कि परमशक्ति से सीधा जुड़ाव स्थापित करने का सहज माध्यम है।
सहजयोग: जीवन जीने की सरलतम विधि
श्री माताजी का मानना था कि सहजता में ही शक्ति है। जब व्यक्ति अपने सहज स्वभाव में स्थित होता है, तो वह किसी भी परिस्थिति में अजेय रहता है। उनका कहना था—
“जब आप भगवान के साम्राज्य में खड़े होते हैं, खुशी के साम्राज्य में, तो हर हाल में आप राजा और रानी बनते हैं। कोई भी आपको खरीद नहीं सकता या आप पर विजय प्राप्त नहीं कर सकता। आप सब कुछ जीत लेते हैं।”
संतों की वाणी में सहजता का महत्व
भारत में कई महान संतों ने सहज जीवनशैली को सर्वोच्च बताया है। संत कबीर ने सहजता के महत्व को अपने दोहे में इस प्रकार समझाया है—
“सहज सहज सब कोई कहै, सहज न चीन्हे कोय।
जिन सहजै विषया तजै, सहज कहावै सोय।।”
अर्थात, सहज जीवन जीना आसान नहीं है, लेकिन जिसने विषय-वासनाओं का त्याग कर दिया, वही वास्तव में सहज हो सकता है।
सहजयोग ध्यान के लाभ
श्री माताजी के अनुसार, सहजयोग के माध्यम से मन की शांति, आत्मसाक्षात्कार, और शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य में सुधार संभव है। यह ध्यान पद्धति व्यक्ति को दुश्चिंताओं और कष्टों से मुक्त कर आत्मबल प्रदान करती है।
कैसे करें सहजयोग ध्यान?
सहजयोग ध्यान का आनंद लेने और इसके अनगिनत लाभ प्राप्त करने के लिए नजदीकी सहजयोग केंद्र की जानकारी टोल-फ्री नंबर 1800 2700 800 से प्राप्त की जा सकती है या वेबसाइट sahajayoga.org.in पर विजिट किया जा सकता है।
सहजयोग केवल एक साधना नहीं, बल्कि जीवन जीने की सरलतम विधि है, जो हर व्यक्ति को आत्मिक शांति और परम आनंद प्रदान करती है।
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