
जयपुर। राजधानी जयपुर के प्रतिष्ठित नीरजा मोदी स्कूल में 9 वर्षीय छात्रा अमायरा की दर्दनाक मौत के मामले में जांच के दौरान चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। सूत्रों के अनुसार, घटना से कुछ घंटे पहले ही अमायरा ने अपनी क्लास टीचर को शिकायत की थी कि कुछ छात्र उसे अब्यूज (अपशब्द) कहकर परेशान कर रहे हैं। इस बात से वह काफी आहत थी।
टीचर्स के बयान बने जांच का हिस्सा
राजस्थान शिक्षा विभाग और सीबीएसई की संयुक्त जांच टीम ने मंगलवार को स्कूल पहुंचकर कई शिक्षकों और छात्रों के बयान दर्ज किए। स्कूल की प्रिंसिपल, क्लास टीचर सहित कई शिक्षकों से पूछताछ की गई। हालांकि इन बयानों को अभी सार्वजनिक नहीं किया गया है, लेकिन जांच टीम के सूत्रों के हवाले से यह स्पष्ट हुआ है कि अमायरा ने घटना से पहले मानसिक रूप से परेशान होने की बात कही थी।
स्कूल परिसर में पांच घंटे तक जांच, रिपोर्ट केंद्र को सौंपी जाएगी
संयुक्त जांच टीम करीब पांच घंटे तक स्कूल में रही। टीम ने क्लासरूम से लेकर चौथी मंजिल तक के रास्ते का निरीक्षण किया और उस स्थान का भी मुआयना किया जहां से अमायरा ने छलांग लगाई थी। जांच पूरी होने के बाद तैयार रिपोर्ट केंद्रीय शिक्षा मंत्री को सौंपी जाएगी।
सीसीटीवी फुटेज में दिखी पूरी घटना की झलक
स्कूल में लगे 20 से अधिक सीसीटीवी कैमरों की रिकॉर्डिंग जांच टीम ने खंगाली। फुटेज में अमायरा दो बार क्लास टीचर के पास जाती हुई नजर आई—पहली बार कुछ छात्रों की शिकायत करने और दूसरी बार वॉशरूम जाने की अनुमति लेने के लिए। इसके बाद वह सीढ़ियों की ओर बढ़ी और कुछ देर रुकने के बाद चौथी मंजिल की ओर जाती हुई दिखी।
एक पल में हुआ हादसा
चौथी मंजिल की सीढ़ियों पर अमायरा के आगे दो छात्र चल रहे थे। कुछ सेकंड बाद वह सीढ़ियों के पास की रेलिंग पर चढ़ी और अचानक नीचे कूद गई। नीचे गिरते ही जोरदार आवाज सुनाई दी, जिसे सुनकर शिक्षक और छात्र मौके की ओर दौड़े। सीसीटीवी फुटेज में यह दृश्य स्पष्ट दिखाई देता है।
पूरा शहर स्तब्ध, सवालों के घेरे में स्कूल प्रबंधन
1 नवंबर को हुई इस घटना ने पूरे जयपुर को झकझोर कर रख दिया है। 9 साल की अमायरा पढ़ाई, खेल और डांस में हमेशा अव्वल रहती थी। ऐसे में उसके इस कदम ने सबको हैरान कर दिया है। माता-पिता की इकलौती संतान रही अमायरा की मां शिवानी बैंक ऑफ बड़ौदा मालवीय नगर शाखा की मैनेजर हैं और पिता विजय कुमार एलआईसी में अधिकारी हैं।
मानसरोवर थाना पुलिस मामले की गंभीरता से जांच कर रही है। वहीं, शिक्षा विभाग और अभिभावक समुदाय अब यह सवाल उठा रहे हैं कि आखिर एक स्कूल में इतनी छोटी बच्ची को इस स्तर तक मानसिक दबाव कैसे पहुंचा?