
नई दिल्ली: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की रियल एस्टेट कंपनी भारत में अपने कारोबार का तेजी से विस्तार कर रही है। ट्रंप-ब्रांडेड प्रॉपर्टीज के लिए भारत अमेरिका के बाहर सबसे बड़ा बाजार बनता जा रहा है। कंपनी भारतीय डेवलपर्स के साथ साझेदारी कर कई बड़े रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स में कदम रख रही है।
ट्रंप की भारत में कमाई और प्रोजेक्ट्स
पिछले साल तक ट्रंप ऑर्गेनाइजेशन ने मुंबई, पुणे, कोलकाता और गुरुग्राम में सात प्रोजेक्ट्स से लगभग 175 करोड़ रुपये कमाए। वर्तमान में भारत में उनके कुल प्रोजेक्ट्स का निर्माण क्षेत्रफल लगभग 30 लाख वर्ग फीट है, जो पूरा होने पर 1.1 करोड़ वर्ग फीट तक पहुँच जाएगा।
ट्रंप के प्रमुख प्रोजेक्ट्स में शामिल हैं:
- पुणे: ट्रंप वर्ल्ड सेंटर, कोरेगांव पार्क में 16 लाख वर्ग फीट में फैला कमर्शियल प्रोजेक्ट, जिसमें दो 27-मंजिला टावर, शॉपिंग स्ट्रीट और भारत का पहला ट्रंप क्लब शामिल। अनुमानित कमाई: 2,500 करोड़ रुपये।
- गोल्फ कोर्स और लग्जरी विला: भारत का पहला ट्रंप ब्रांडेड गोल्फ कोर्स और लग्जरी विला प्रोजेक्ट।
- ट्रंप वर्ल्ड टावर्स: मुंबई, पुणे और गुरुग्राम में स्थित, जहां नए प्रोजेक्ट्स पहले से मौजूद प्रोजेक्ट्स से अलग होंगे।
ट्रंप संगठन भारत में ब्रांड लाइसेंसिंग मॉडल का इस्तेमाल करता है। इसका मतलब है कि कंपनी खुद निवेश नहीं करती, बल्कि भारतीय डेवलपर्स को अपनी ब्रांडिंग के लिए फीस लेती है। इससे वित्तीय जोखिम कम होता है और व्यापार तेजी से बढ़ता है।
भारत में आने वाले नए प्रोजेक्ट्स
चुनाव के बाद 2024 में छह नए ट्रंप प्रोजेक्ट्स की घोषणा हुई है। ये बेंगलुरु, नोएडा, हैदराबाद, गुरुग्राम, मुंबई और पुणे जैसे शहरों में होंगे। सभी प्रोजेक्ट्स में रेजिडेंशियल, कमर्शियल और रिक्रिएशनल स्पेस का मिश्रण होगा।
1 लाख करोड़ रुपये का बड़ा निवेश
8 दिसंबर 2025 को हैदराबाद में आयोजित ‘तेलंगाना राइजिंग ग्लोबल समिट’ में ट्रंप मीडिया एंड टेक्नोलॉजी ग्रुप ने अगले 10 वर्षों में तेलंगाना की ‘फ्यूचर सिटी’ और आसपास के क्षेत्रों में ₹1 लाख करोड़ (लगभग 12 अरब डॉलर) निवेश की घोषणा की। यह भारत में किसी विदेशी रियल एस्टेट समूह की अब तक की सबसे बड़ी घोषणा है।
कारोबार और टैरिफ में संतुलन
जहां एक ओर ट्रंप टैरिफ विवाद में भारत पर सख्त रुख रखते हैं, वहीं उनकी कंपनी का भारत में रियल एस्टेट विस्तार तेजी से हो रहा है। यह दर्शाता है कि भारत ट्रंप ऑर्गेनाइजेशन के लिए एक महत्वपूर्ण और लाभदायक बाजार बन चुका है।