
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों के चलते भारत और अमेरिका के रिश्तों में पैदा हुए तनाव पर अमेरिकी ही सवाल उठाने लगे हैं। डेमोक्रेटिक सांसद सिडनी कामलेगर-डोव ने हाल ही में पुतिन के भारत दौरे को लेकर ट्रंप प्रशासन की विदेश नीति की कड़ी आलोचना की।
पुतिन-मोदी की तस्वीरें बोल रही हैं
सांसद डोव ने कहा, “नरेंद्र मोदी और व्लादिमीर पुतिन की साथ में आई तस्वीरें बहुत कुछ बयान कर रही हैं। ट्रंप को समझना चाहिए कि तस्वीरें झूठ नहीं बोलती। पुतिन और मोदी की गले मिलते हुए तस्वीरें ट्रंप की नाकाम विदेश नीति का सीधा सबूत हैं।”
उन्होंने यह भी कहा कि ट्रंप की टैरिफ नीति ने भारत के साथ लंबे समय में बने भरोसेमंद रिश्तों को पटरी से उतार दिया है।
भारत पर टैरिफ और H-1B वीजा की आलोचना
सांसद डोव ने ट्रंप प्रशासन द्वारा रूस से तेल खरीदने के लिए भारत पर लगाए गए टैरिफ को भी बेवजह बताया। उन्होंने कहा कि H-1B वीजा की फीस 100,000 डॉलर करना भी गलत कदम है, जिससे भारतीय पेशेवरों को सीधे झटका लगा है, जो अमेरिका में विज्ञान, मेडिकल और तकनीकी क्षेत्रों में काम कर रहे हैं।
प्रमिला जयपाल ने भी उठाया मुद्दा
अमेरिकी प्रतिनिधि प्रमिला जयपाल ने भी डोव का समर्थन किया और कहा कि टैरिफ सिर्फ इंडिया की इकॉनमी ही नहीं, बल्कि अमेरिकी बिजनेस और आम लोगों को भी नुकसान पहुंचा रहे हैं। उन्होंने वॉशिंगटन स्टेट की एक पारिवारिक कंपनी का उदाहरण देते हुए बताया कि वे भारत से एग्रीकल्चर प्रोडक्ट का बिजनेस कर रहे हैं, लेकिन ट्रंप प्रशासन के टैरिफ ने उनके 120 साल पुराने कारोबार को खतरे में डाल दिया है।
निष्कर्ष
टैरिफ और वीजा शुल्क बढ़ाने जैसी नीतियों के कारण अमेरिका में ट्रंप का पक्ष कमजोर होता जा रहा है। सांसदों की आलोचना यह दर्शाती है कि विदेश नीति के फैसलों का असर सिर्फ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नहीं, बल्कि घरेलू व्यवसाय और आर्थिक संतुलन पर भी पड़ता है।