
नई दिल्ली: अनिल अंबानी की मुसीबतें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। अब उनके रिलायंस ग्रुप (ADAG) की कंपनियों पर सीरियस फ्रॉड इन्वेस्टिगेशन ऑफिस (SFIO) जांच करेगी। कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय (MCA) ने यह आदेश जारी किया है।
जांच का दायरा
SFIO को कम से कम चार प्रमुख कंपनियों की जांच करनी है:
- रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर (RInfra)
- रिलायंस कम्युनिकेशंस (RCom)
- रिलायंस कमर्शियल फाइनेंस लिमिटेड (RCFL)
- CLE प्राइवेट लिमिटेड
जांच का मकसद कॉर्पोरेट गवर्नेंस में गड़बड़ी और पैसों के गलत इस्तेमाल को उजागर करना है। मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि यह कदम वित्तीय संस्थानों और ऑडिटर्स द्वारा रिपोर्ट की गई गड़बड़ियों के आधार पर उठाया गया है।
पहले की जांच
इन कंपनियों की पहले सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा भी जांच हो चुकी है। SFIO की जांच कॉर्पोरेट गवर्नेंस के मुद्दों पर केंद्रित होगी। इसमें यह देखा जाएगा कि क्या बैंक, ऑडिटर या रेटिंग एजेंसियों ने जानबूझकर कोई जानकारी छुपाई। अगर पैसों की हेराफेरी शेल कंपनियों के जरिए हुई है, तो उसकी भी जांच होगी।
संभावित कार्रवाई
SFIO की जांच में अगर किसी शेल या धोखाधड़ी वाली कंपनी की पहचान होती है, तो MCA या रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज (RoC) उस कंपनी को बंद कर सकती है, मुकदमा चला सकती है या उसके निदेशकों को अयोग्य घोषित कर सकती है।
RInfra ने SFIO जांच के आदेश पर कहा कि इस विकास का कंपनी के संचालन, शेयरधारकों, कर्मचारियों या किसी अन्य हितधारकों पर कोई असर नहीं पड़ेगा। कंपनी ने यह भी स्पष्ट किया कि अनिल अंबानी तीन साल से अधिक समय से RInfra के बोर्ड में नहीं हैं।
ED ने जब्त की संपत्तियां
पिछले हफ्ते ED ने ADAG ग्रुप की 7,500 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्तियां जब्त की थीं। इसमें शामिल हैं:
- मुंबई के पाली हिल में आवासीय संपत्ति
- नई दिल्ली में रिलायंस सेंटर
- नवी मुंबई में धीरूभाई अंबानी नॉलेज सिटी में 132 एकड़ से अधिक जमीन, जिसकी कीमत 4,462.81 करोड़ रुपये है।
निष्कर्ष
अनिल अंबानी और उनके समूह की कंपनियों पर जांच का दायरा लगातार बढ़ता जा रहा है। SFIO की यह जांच कॉर्पोरेट गवर्नेंस और वित्तीय हेराफेरी को सामने लाएगी, जिससे अनिल अंबानी की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं।