Wednesday, December 3

एक हाथ से दिया तो दूसरे हाथ से लिया: BJP के प्रेम कुमार स्पीकर, नीतीश के करीबी नरेंद्र नारायण यादव डिप्टी स्पीकर

पटना: बिहार विधानसभा में स्पीकर और डिप्टी स्पीकर पदों को लेकर मंडरा रहे संशय के बादल अब साफ हो गए हैं। बीजेपी के प्रेम कुमार को विधानसभा अध्यक्ष के रूप में निर्विरोध चुना गया है, वहीं नरेंद्र नारायण यादव को डिप्टी स्पीकर पद का निर्विरोध निर्वाचन मिला है।

विधानसभा अध्यक्ष पद को लेकर जब तक बीजेपी और जदयू में खींचतान थी, तब यह तय था कि जदयू के पास अध्यक्ष पद जाएगा तो डिप्टी स्पीकर का विकल्प बीजेपी का होगा और अगर अध्यक्ष पद बीजेपी को मिलता तो डिप्टी स्पीकर जदयू के पास होगा। इस बार जैसे ही प्रेम कुमार का नाम अध्यक्ष पद के लिए सर्वसम्मति से सामने आया, वैसे ही डिप्टी स्पीकर के लिए नरेंद्र नारायण यादव का निर्विरोध निर्वाचन सुनिश्चित हो गया। इसका औपचारिक ऐलान आगामी सत्र में 4 दिसंबर को किया जाएगा।

एक हाथ से दिया, दूसरे हाथ से लिया
राजनीतिक समीकरणों की बात करें तो कहा जा रहा है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक हाथ से स्पीकर पद बीजेपी को दिया तो दूसरे हाथ से डिप्टी स्पीकर पद अपने करीबी को, यानी जदयू को सुरक्षित रखा। पिछली बार भी इसी तरह का समीकरण रहा था, जब स्पीकर पद BJP के नंद किशोर यादव और डिप्टी स्पीकर JDU के महेश्वर हजारी थे। इस बार गृह विभाग बीजेपी के पास रहा।

नरेंद्र नारायण यादव कौन हैं?
नरेंद्र नारायण यादव, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सबसे करीबी और विश्वसनीय नेताओं में से एक माने जाते हैं। उन्होंने 1995 में पहली बार विधायक के रूप में राजनीति में कदम रखा और तब से लगातार आलमनगर विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं। उन्होंने बिहार सरकार में कानून और लघु जल संसाधन मंत्री के रूप में भी जिम्मेदारी संभाली। फरवरी 2024 में वे बिहार विधानसभा के उपाध्यक्ष बने और 24 नवंबर 2025 को उन्हें प्रोटम स्पीकर नियुक्त किया गया।

अन्य उपलब्धियां और राजनीतिक पकड़
नरेंद्र नारायण यादव ने इस बार के विधानसभा चुनाव में मधेपुरा की आलमनगर सीट से वीआईपी उम्मीदवार नवीन कुमार को लगभग 55 हजार वोटों के अंतर से हराया। वे लगातार आठवीं बार विधायक चुने गए हैं। इसके अलावा, वे मंडल कमीशन के जनक बीपी मंडल के बेटे मणिंद्र मंडल के समधी भी हैं।

नीतीश कुमार के करीबी और अनुभवी नेता के रूप में, नरेंद्र नारायण यादव की यह नियुक्ति जदयू के लिए विधानसभा में मजबूत स्थिति को और भी मजबूती देती है।

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