Wednesday, December 3

कफ सिरप सिंडिकेट का किंगपिन गिरा, 4 किलो सोना लूट में बर्खास्‍त हो चुका था सिपाही आलोक सिंह लखनऊ से वाराणसी तक फैला था रसूख—रेलवे ठेके, खनन और नशे के कारोबार में गहरी पैठ

प्रतिबंधित कफ सिरप सिंडिकेट का जाल यूपी में तेजी से फैल चुका था। इसका मास्टरमाइंड शुभम जायसवाल अभी फरार है, लेकिन उसके सबसे भरोसेमंद और प्रभावशाली साथी यूपी पुलिस का बर्खास्‍त सिपाही आलोक सिंह अब कानून के शिकंजे में है। एसटीएफ ने उसे 2 दिसंबर को गोमती नगर विस्तार स्थित प्लासियो मॉल के पास से गिरफ्तार किया।

20 साल पुराना काला इतिहास—4 किलो सोना लूट में हुआ था बर्खास्‍त

आलोक सिंह का आपराधिक सफर कोई नया नहीं है।
साल 2006 में प्रयागराज के एक व्यापारी से 4 किलो सोना लूट का मामला सामने आया था। जांच में तत्कालीन एसओजी टीम के पांच पुलिसकर्मियों के नाम सामने आए थे, जिनमें आलोक सिंह भी शामिल था।
इस मामले में वह बर्खास्‍त कर दिया गया, हालांकि 2022 में कोर्ट के आदेश पर बहाल हो गया।

लेकिन बहाली के बाद भी उसका रवैया नहीं बदला। ड्यूटी से नदारद रहना, संदिग्ध लोगों से संपर्क और आपराधिक गतिविधियों में शामिल होने की शिकायतें लगातार मिलती रहीं।

पहुंच का इस्तेमाल—पावर कॉरपोरेशन, पुलिस लाइन और फिर अंडरग्राउंड दुनिया में दबदबा

बहाली के बाद आलोक सिंह ने अपनी पहुँच का फायदा उठाते हुए पहले अपनी तैनाती यूपी पावर कॉरपोरेशन में करवाई और फिर लखनऊ पुलिस लाइन में जुड़ गया।
यहां भी वह अक्सर ड्यूटी से गायब रहता था।
नाका इलाके में हुई एक लूट की घटना में नाम आने के बाद उसे लाइन हाजिर किया गया।

धीरे-धीरे उसका नाम कई संदिग्ध मामलों में सामने आने लगा और उसने अंडरग्राउंड गतिविधियों में गहरी पैठ बना ली।

रेलवे ठेकों से खनन तक—लखनऊ से जौनपुर और वाराणसी तक नेटवर्क

आलोक सिंह का नेटवर्क बेहद मजबूत और खतरनाक बताया जा रहा है।

  • रेलवे ठेकों में सीधा दखल
  • खनन और रियल स्टेट में सक्रिय भूमिका
  • कंपनियों को “सरल रास्ता” दिलाने का ठेका
  • कई जिलों में प्रभावशाली लोगों से संपर्क

आलोक मूल रूप से चंदौली के कैथी गांव का रहने वाला है। सातवीं तक गांव में पढ़ाई कर वह पिता के साथ लखनऊ आ गया था। आगे चलकर जौनपुर में उसने मकान बनवाया और वहीं का निवासी बनकर शस्त्र लाइसेंस भी बनवा लिया।
उसने चंदौली, गाजीपुर, जौनपुर और वाराणसी में युवाओं की एक पूरी टीम तैयार की हुई थी, जो कफ सिरप सिंडिकेट में उसकी मदद करते थे।

**कैसे जुड़ा कफ सिरप सिंडिकेट से?

शुभम जायसवाल से हुई मुलाकात और करोड़ों का नशे का कारोबार**

पूछताछ में आलोक सिंह ने बताया कि उसकी मुलाकात आजमगढ़ के विकास सिंह ने करवायी थी।
इसके बाद वह शुभम जायसवाल के संपर्क में आया, जो एबॉट कंपनी की प्रतिबंधित फेंसेड्रिल कफ सिरप को रांची स्थित “शैली ट्रेडर्स” के नाम से बड़े पैमाने पर सप्लाई करता था।

यह सिरप नशे में इस्तेमाल होती है और तस्करी में भारी मुनाफा मिलता है। इस धंधे में आलोक ने अपनी “पहुंच” का जमकर उपयोग किया।

1 दिसंबर को जारी हुआ लुक आउट सर्कुलर—2 दिसंबर को धर दबोचा गया

आलोक सिंह के फरार होने की आशंका के चलते एसटीएफ ने
1 दिसंबर को ही उसके खिलाफ लुक आउट सर्कुलर जारी कर दिया था।
अदालत में आत्मसमर्पण की अर्जी भी दाखिल की गई, लेकिन उससे पहले ही
2 दिसंबर को एसटीएफ ने उसे गिरफ्तार कर लिया।

पुलिस अब शुभम जायसवाल और पूरे नेटवर्क को ध्वस्त करने में जुटी है। माना जा रहा है कि कफ सिरप तस्करी का यह सिंडिकेट करोड़ों का खेल था, जिसमें कई जिलों के स्थानीय नेटवर्क शामिल थे।

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