Tuesday, December 2

अडानी ग्रुप में क्यों लगाया LIC ने पैसा? वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का साफ जवाब

नई दिल्ली: अडानी ग्रुप में भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) के निवेश को लेकर विपक्ष लगातार सरकार पर सवाल उठाता रहा है। हिंडनबर्ग रिपोर्ट के बाद अडानी समूह के शेयरों में भारी गिरावट आने पर यह मुद्दा तेज़ी से उठा था। हाल ही में वॉशिंगटन पोस्ट की एक रिपोर्ट में यह दावा भी किया गया कि सरकारी अधिकारियों ने एलआईसी को अडानी ग्रुप में निवेश के लिए प्रेरित किया था।

इन्हीं आरोपों के बीच वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को लोकसभा में इस मसले पर सरकार का पक्ष स्पष्ट किया।

वित्त मंत्री ने क्या कहा?

सीतारमण ने लिखित उत्तर में कहा कि वित्त मंत्रालय एलआईसी के निवेश संबंधी निर्णयों में न तो हस्तक्षेप करता है और न ही कोई निर्देश जारी करता है।
उन्होंने जोर देकर कहा कि अडानी ग्रुप में एलआईसी का निवेश उसके बोर्ड द्वारा निर्धारित नीतियों और स्थापित मानक संचालन प्रक्रियाओं (SOP) के तहत ही किया गया है।

LIC का कितना निवेश है अडानी ग्रुप में?

वित्त मंत्री के अनुसार,

  • एलआईसी ने गहन विश्लेषण और उचित परिश्रम (Due Diligence) के बाद
  • अडानी समूह की छह लिस्टेड कंपनियों में निवेश किया है
  • इन निवेशों का कुल मूल्य ₹38,658.85 करोड़ है।

इसके अलावा एलआईसी ने मई 2025 में अडानी पोर्ट्स स्पेशल इकोनॉमिक ज़ोन (APSEZ) द्वारा जारी सुरक्षित गैर-परिवर्तनीय डिबेंचरों (NCD) में ₹5,000 करोड़ का निवेश भी किया है।

क्या एलआईसी को निर्देश दिए गए थे?

वित्त मंत्री का स्पष्ट कहना है:

“वित्त मंत्रालय एलआईसी फंड के निवेश से जुड़े मामलों पर कोई सलाह या निर्देश जारी नहीं करता। ये निर्णय बीमा अधिनियम, 1938 और आईआरडीएआई, आरबीआई तथा सेबी द्वारा तय नियमों के अनुसार लिए जाते हैं।”

विपक्ष के आरोपों की पृष्ठभूमि

वॉशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट में दावा किया गया था कि मंत्रालय के अधिकारियों ने एलआईसी को अडानी ग्रुप में निवेश करने के लिए प्रेरित करने की योजना बनाई थी। इसी रिपोर्ट का हवाला देकर विपक्ष ने सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश की थी।

एलआईसी कहाँ करता है निवेश?

सीतारमण ने बताया कि एलआईसी—

  • एनएसई और बीएसई पर लिस्टेड टॉप 500 कंपनियों में निवेश करता है।
  • इसके निवेश का बड़ा हिस्सा बड़ी और स्थापित कंपनियों में केंद्रित है।

निष्कर्ष

सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि एलआईसी के निवेश निर्णय स्वतंत्र होते हैं, और अडानी ग्रुप में किया गया निवेश भी उसके बोर्ड द्वारा अनुमोदित प्रक्रियाओं के तहत ही हुआ है। विपक्ष के आरोपों के बीच सरकार का यह बयान इस बहस को नई दिशा दे सकता है।

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