Tuesday, December 2

सुप्रीम कोर्ट ने डिजिटल अरेस्ट घोटालों में CBI को इंटरपोल की मदद लेने का दिया निर्देश

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने डिजिटल अरेस्ट घोटालों के मामलों पर स्वतः संज्ञान लेते हुए CBI को आदेश दिया है कि वह विदेशी साइबर अपराधियों तक पहुँचने के लिए इंटरपोल की मदद ले। अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि टेलीकॉम सेवा प्रदाता किसी एक व्यक्ति या इकाई को कई सिम कार्ड जारी न करें, क्योंकि उनका दुरुपयोग साइबर अपराधों में हो सकता है।

राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के लिए निर्देश:
कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से कहा कि वे क्षेत्रीय और राज्य स्तरीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र स्थापित करें। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को निर्देश दिया गया कि गृह मंत्रालय, दूरसंचार विभाग, वित्त मंत्रालय और इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय सहित संबंधित मंत्रालयों के विचार साइबर अपराध मामलों से निपटने के लिए सुप्रीम कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत किए जाएं।

CBI को दी गई पूरी स्वतंत्रता:
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सीबीआई को सभी राज्यों, केंद्रशासित प्रदेशों और उनकी पुलिस एजेंसियों के साथ मिलकर नागरिकों से धोखाधड़ी में इस्तेमाल किए गए बैंक खातों को फ्रीज करने की पूरी स्वतंत्रता होगी। अदालत ने CBI को निर्देश दिया कि बैंक अधिकारियों की भी जांच की जाए, जो धोखेबाज़ों के साथ मिलकर म्यूल अकाउंट्स संचालित करने में मदद करते हैं।

बैंकरों की भूमिका की जांच:
अदालत ने CBI को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत बैंकरों की भूमिका की स्वतंत्र जांच का अधिकार दिया, खासकर उन मामलों में जहाँ बैंक खाते डिजिटल अरेस्ट घोटालों के उद्देश्य से खोले गए हों।

आरबीआई का सहयोग:
सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) को भी पक्षकार बनाया और उनसे अनुरोध किया कि वे फर्जी खातों की पहचान के लिए उपयोग किए जाने वाले AI और मशीन लर्निंग उपकरण की जानकारी प्रदान करें। अदालत ने स्पष्ट किया कि मौजूदा कार्यवाही मुख्य रूप से डिजिटल अरेस्ट घोटालों पर केंद्रित रहेगी।

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