
नई दिल्ली: संसद के शीतकालीन सत्र का मंगलवार का दिन हंगामेदार रहा। कांग्रेस सांसद मणिकम टैगोर ने वोटर लिस्ट की विश्वसनीयता पर उठते संकट को लेकर स्थगन प्रस्ताव का नोटिस दिया। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग की एसआईआर प्रक्रिया ने लोकतंत्र और मतदाता प्रणाली को गंभीर चुनौती में डाल दिया है।
एसआईआर पर गंभीर आरोप:
सांसद टैगोर ने लोकसभा में कहा कि देश की मतदाता सूची, जो स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों की रीढ़ मानी जाती है, गड़बड़ियों, मानव त्रुटियों और सुरक्षा कमजोरियों से जूझ रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग ने एसआईआर प्रक्रिया को जल्दबाजी, बिना योजना और तानाशाहीपूर्ण तरीके से लागू किया, जिससे पूरे देश में अफरा-तफरी मच गई।
बीएलओ पर अत्यधिक बोझ, मौत और आत्महत्या तक:
मणिकम टैगोर ने कहा कि बीएलओ (बेसिक लिस्टिंग ऑफिसर) को लगातार चुनावी सत्यापन कार्य में झोंक दिया गया, जबकि उन्हें अपने नियमित शैक्षणिक कार्य भी निभाने थे। इस अत्यधिक बोझ की वजह से कई बीएलओ बेहोश हो गए, कुछ की मौत हुई और कुछ ने आत्महत्या कर ली। इसके बावजूद चुनाव आयोग न तो आंकड़े साझा कर रहा है, न जांच बैठा रहा है और न ही इन घटनाओं को स्वीकार कर रहा है।
आम जनता भी प्रभावित:
सांसद ने बताया कि आम जनता बार-बार सत्यापन, उलझन भरे निर्देश और नामों में मनमानी कटौती जैसी असुविधाओं का सामना कर रही है। उन्होंने एसआईआर प्रक्रिया को जन विरोधी, शिक्षक विरोधी और लोकतंत्र विरोधी करार दिया।
लोकसभा अध्यक्ष से अपील:
टैगोर ने लोकसभा अध्यक्ष से तुरंत हस्तक्षेप की मांग करते हुए कहा कि देशभर में एसआईआर प्रक्रिया को तुरंत रोका जाए। उन्होंने बीएलओ की मौत और आत्महत्याओं की राष्ट्रीय जांच, प्रभावित परिवारों को मुआवजा और मतदाता सूची प्रणाली के आधुनिकीकरण की सिफारिश की। साथ ही चुनाव आयोग को संसद के सामने जवाबदेह ठहराने की भी मांग की।