
जयपुर। बाबरी मस्जिद विध्वंस की तारीख 6 दिसंबर को प्रदेश के सरकारी स्कूलों में ‘शौर्य दिवस’ मनाने के आदेश को राजस्थान सरकार ने कुछ ही घंटों में वापस ले लिया। आदेश जारी होते ही उठे राजनीतिक व सामाजिक विवाद के बाद सरकार ने इसे स्थगित कर दिया है। हालाँकि, सरकार की ओर से कारण कुछ और बताया गया है।
एग्जाम के चलते आदेश वापस—सरकार का दावा
राजस्थान के शिक्षा मंत्री मदन सिंह दिलावर ने कहा कि स्कूलों में 5 और 6 दिसंबर को परीक्षाएँ आयोजित की जानी हैं, ऐसे में किसी अन्य कार्यक्रम का आयोजन संभव नहीं है। इसलिए ‘शौर्य दिवस’ के प्रस्तावित कार्यक्रमों को फिलहाल टाल दिया गया है।
लेकिन शिक्षा विभाग के डायरेक्टर सीताराम जाट के बयान ने सवाल खड़े कर दिए। उन्होंने स्पष्ट किया कि इस बारे में विभाग ने कोई आधिकारिक आदेश जारी नहीं किया था और यह स्पष्ट नहीं है कि निर्देश किस तरह सर्कुलेट हुआ। जाट ने यह भी बताया कि इसी तरह का एक ‘फेक ऑर्डर’ पहले भी वायरल हुआ था, जिसे विभाग ने 5 नवंबर को खारिज किया था।
क्या था शौर्य दिवस का विवादित निर्देश?
सरकार की ओर से जारी प्रारंभिक निर्देश में कहा गया था कि स्कूलों में 6 दिसंबर को
- ‘देशभक्ति, राष्ट्रीयता और साहस’
- राम मंदिर आंदोलन
- भारतीय सांस्कृतिक गौरव
- वीरता और राष्ट्र-निर्माण में युवाओं की भूमिका
जैसे विषयों पर निबंध प्रतियोगिता, पेंटिंग कॉन्टेस्ट, अयोध्या राम मंदिर से जुड़े एग्जीबिशन और अन्य गतिविधियाँ आयोजित की जाएँ।
यही आदेश विवाद की वजह बना, क्योंकि जिस तारीख (6 दिसंबर 1992) को बाबरी मस्जिद गिराई गई थी, उसे ‘शौर्य दिवस’ के रूप में मनाने का निर्देश दिया गया था।
विपक्ष और मुस्लिम संगठनों ने जताई कड़ी आपत्ति
निर्देश जारी होते ही विपक्ष और कई मुस्लिम संगठनों ने सरकार की मंशा पर सवाल उठाए।
कांग्रेस का आरोप
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा—
“सरकार बच्चों को बाबरी मस्जिद ध्वंस की तारीख को बहादुरी का दिन बताने पर मजबूर कर रही है। यह सामाजिक सौहार्द के खिलाफ है।”
कांग्रेस के प्रवक्ता **स्वर्णिम च