
नई दिल्ली। गीता जयंती 2025 इस बार 1 दिसंबर को मनाई जा रही है। यह दिन न केवल आध्यात्मिक रूप से महत्वपूर्ण है, बल्कि उन लाखों छात्रों के लिए भी विशेष मायने रखता है जो पढ़ाई, करियर और जीवन की चुनौतियों से जूझ रहे हैं। भगवान श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन को दिए गए उपदेश सदियों बाद भी उतने ही प्रासंगिक हैं, जितने कुरुक्षेत्र की रणभूमि में थे।
गीता जयंती के अवसर पर विद्यार्थी यह समझ सकते हैं कि सफलता का आधार सिर्फ एक—एकाग्रता, मेहनत और सकारात्मक सोच है। गीता के उपदेश बताते हैं कि सही दिशा में किया गया कर्म ही व्यक्ति को आगे बढ़ाता है और उसे मंज़िल तक पहुंचने की प्रेरणा देता है।
स्टूडेंट्स के लिए गीता के प्रेरणादायी संदेश
गीता की शिक्षाएं समय, परिस्थिति और युग से परे हैं। यह विद्यार्थियों को आत्मअनुशासन, कर्तव्यनिष्ठा और सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाने की प्रेरणा देती हैं। यहाँ कुछ अनमोल संदेश हैं जो हर स्टूडेंट को पढ़ने चाहिए—
- “कर्म करने का अधिकार तुम्हारा है, पर उसके फल में कभी नहीं।”
- “दिमाग को काम पर लगाओ, न कि उसके इनाम पर।”
- “शांति, नरमी, मौन, आत्मसंयम और पवित्रता—ये मन के नियम हैं।”
- “जो स्वयं को समझ लेता है, उसे सच्ची संतुष्टि और आंतरिक खुशी प्राप्त होती है।”
- “रुकावटें नहीं, आसान लक्ष्यों का लोभ हमारी सफलता को रोकता है।”
- “मनुष्य अपने मन की कोशिशों से ऊपर उठता है या नीचे गिरता है—मन ही उसका मित्र और शत्रु है।”
- “पहचानें कि क्या स्थायी है और क्या क्षणिक।”
- “यदि परिस्थितियाँ अनुकूल न हों, विश्वास रखें कि कुछ बेहतर आपकी ओर बढ़ रहा है।”
क्यों ज़रूरी हैं गीता के उपदेश छात्रों के लिए?
छात्र जीवन चुनौतियों और निर्णायक फैसलों से भरा होता है। ऐसे समय में गीता की शिक्षाएं मानसिक संतुलन बनाए रखने, आत्मविश्वास बढ़ाने और सही निर्णय लेने में मार्गदर्शन करती हैं।
गीता विद्यार्थियों को सिखाती है—
- समय का सदुपयोग करना
- लक्ष्य पर केंद्रित रहना
- असफलताओं से सीख लेना
- तनाव में संतुलित रहना
- सकारात्मक सोच बनाये रखना
इन्हीं गुणों के बल पर स्टूडेंट न केवल पढ़ाई में सफल होते हैं, बल्कि जीवन में भी ऊँचाइयों को छूते हैं।