Monday, December 1

खंडवा में स्वास्थ्य तंत्र की लापरवाही ने छीनी 30 वर्षीय युवक की जान; एम्बुलेंस न मिलने पर बैलगाड़ी पर अस्पताल ले जाने की कोशिश

खंडवा: जिले के आदिवासी बहुल क्षेत्र रोशनी में स्वास्थ्य सेवाओं की लापरवाही ने एक परिवार को गहरा सदमा दिया। 30 वर्षीय सुरेंद्र ओझा की तबीयत अचानक बिगड़ गई। परिजनों ने तत्काल 108 एम्बुलेंस को बुलाया, लेकिन कई घंटों तक कोई सहायता नहीं पहुंची। अंततः मजबूरी में परिजन और ग्रामीण बैलगाड़ी पर मरीज को लेकर अस्पताल पहुंचे, लेकिन रास्ते में ही सुरेंद्र की मौत हो गई।

मानवीय प्रयासों के बावजूद बेबसी:
दुखद यह था कि मौके पर बैल नहीं था। ग्रामीणों ने बैलगाड़ी को अपने कंधों पर खींचते हुए सुरेंद्र को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र रौशनी तक पहुँचाने की पूरी कोशिश की। अस्पताल पहुंचने तक सुरेंद्र अंतिम सांस ले चुके थे। इस दर्दनाक घटना का वीडियो किसी युवक ने अस्पताल परिसर में रिकॉर्ड किया, जो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया।

स्वास्थ्य सेवाओं की पोल खुली:
ग्रामीणों का कहना है कि यह कोई नई बात नहीं है। एम्बुलेंस अक्सर देर से आती है या कभी-कभी नहीं आती। उन्होंने सवाल उठाया कि “सरकार के दावे तो बड़े हैं, लेकिन जमीनी हकीकत में चिकित्सा तंत्र की सुस्ती कई बार जिंदगी और मौत के बीच की दूरी तय कर देती है।”

मृत्यु का कारण:
स्वास्थ्य विभाग के प्रभारी संतोष मोरे ने बताया कि सुरेंद्र पहले से बीमार थे और प्राथमिक तौर पर उनकी मौत हार्ट अटैक से हुई प्रतीत हो रही है। शनिवार को खालवा अस्पताल में पोस्टमार्टम किया जाएगा, जिसके बाद मौत के कारण स्पष्ट होंगे।

स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप:
घटना के बाद खंडवा सीएमएचओ डॉ. ओ पी जुगतावत ने जांच के आदेश दिए हैं। उन्होंने कहा कि यदि एम्बुलेंस सेवा में कोई लापरवाही पाई जाती है तो संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

परिवार और गांव में मातम:
सुरेंद्र की मौत ने पूरे परिवार को तोड़ दिया। उनके घर पर 8 माह की मासूम बच्ची अपने पिता के बिना बिलख रही है। गांव में मातम का माहौल है और लोग स्वास्थ्य सेवाओं की अनुपलब्धता पर सवाल उठा रहे हैं।

Leave a Reply