
नई दिल्ली: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने देश में डिजिटल बैंकिंग को और सुगम बनाने के लिए शुक्रवार को एक बड़ी पहल की है। केंद्रीय बैंक ने कमर्शल बैंकों, स्मॉल फाइनेंस बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थाओं के लिए 7 नए ‘मास्टर डायरेक्शन’ जारी किए हैं।
इस कदम का मकसद बैंकों और वित्तीय संस्थाओं पर फालतू कागजी कार्रवाई का बोझ कम करना और कामकाज में आसानी लाना है। RBI की इस पहल से डिजिटल बैंकिंग के नियम सरल और स्पष्ट होंगे, जिससे बैंकों को नियमों के पालन में आसानी होगी।
कौन-कौन से बैंक शामिल:
डिजिटल बैंकिंग के ये नए मास्टर डायरेक्शन 1 जनवरी 2026 से लागू होंगे। इनका असर निम्नलिखित संस्थाओं पर होगा:
- कमर्शल बैंक
- स्मॉल फाइनेंस बैंक
- पेमेंट बैंक
- लोकल एरिया बैंक
- क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक
- अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक
- रूरल को-ऑपरेटिव बैंक
नियमों के तहत क्या होगा जरूरी:
सभी बैंकों को डिजिटल बैंकिंग के लिए ठोस नीतियां बनानी होंगी। इनमें कानूनी आवश्यकताओं के साथ-साथ लिक्विडिटी और डिजिटल कामकाज में आने वाले जोखिमों का ध्यान रखना अनिवार्य होगा। डिजिटल बैंकिंग का मतलब उन सेवाओं से है, जो इंटरनेट बैंकिंग, मोबाइल बैंकिंग या ग्राहकों के अन्य इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस के जरिए प्रदान की जाती हैं, जहां काम का बड़ा हिस्सा मशीनों या ऑटोमेशन के माध्यम से होता है।
RBI की बड़ी सफाई:
RBI ने बताया कि पिछले लगभग छह महीने से चल रही नियमों को व्यवस्थित करने की कवायद पूरी हो गई है। इस अभियान के तहत 5,673 पुराने सर्कुलर्स रद्द किए गए, जो अब अप्रासंगिक और बेकार हो चुके थे। इससे बैंकिंग व्यवस्था और भी पारदर्शी और त्वरित होगी।