
भोपाल: मध्य प्रदेश में वक्फ बोर्ड की कुल 15,000 से अधिक संपत्तियों में से अब तक केवल 1,200 संपत्तियां ही केंद्रीय वक्फ पोर्टल UMEED पर पंजीकृत हो पाई हैं। यानी लगभग 10 फीसदी संपत्तियों का भी पंजीकरण नहीं हो पाया है। राज्य और वक्फ के शीर्ष अधिकारियों ने बताया कि पोर्टल में तकनीकी खामियों और रिकॉर्ड की अनुपलब्धता के कारण पंजीकरण की प्रक्रिया धीमी रही है।
केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को 6 दिसंबर तक अपनी वक्फ संपत्तियों को पोर्टल पर पंजीकृत करने की समय सीमा दी थी। हालांकि, सरकारी अधिकारियों ने संकेत दिए हैं कि यह समय सीमा बढ़ाई जा सकती है।
केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने पहले कहा था कि भारत में 9 लाख से अधिक वक्फ संपत्तियां हैं और प्रत्येक राज्य को समय पर उनका विवरण पोर्टल पर अपलोड करना आवश्यक है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि केवल वैध और कानूनी संपत्तियां ही पोर्टल पर शामिल होंगी, जबकि अवैध और बिना दस्तावेज वाली संपत्तियां सूचीबद्ध नहीं की जाएंगी।
तकनीकी अड़चनें
मध्य प्रदेश वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष संवर पटेल ने बताया कि पोर्टल में ‘वक्फ का तरीका’ दर्ज करने का कॉलम नहीं है, जिसके कारण राज्य की संपत्तियों को पंजीकृत करना मुश्किल हो रहा है। उन्होंने कहा कि 14,164 संपत्तियां पहले ही सरकारी सर्वेक्षण के माध्यम से वक्फ के रूप में पंजीकृत हैं, लेकिन पोर्टल में तकनीकी कमी के कारण इन्हें अपलोड करना संभव नहीं हो पा रहा।
राज्य के पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के अधिकारियों ने भी पोर्टल की तकनीकी समस्याओं और आवश्यक जानकारी की कमी की बात स्वीकार की है। पंजीकरण प्रक्रिया में मुतवल्ली (देखभाल करने वाले) द्वारा संपत्ति का विवरण दर्ज करना, वक्फ बोर्ड द्वारा सत्यापन और सरकारी अनुमोदन के बाद ही पोर्टल में प्रविष्टि की जाती है।
अधिकारियों का कहना है कि 6 दिसंबर की समय सीमा बढ़ाए जाने की संभावना है, ताकि सभी संपत्तियों का सही तरीके से पंजीकरण किया जा सके और वक्फ संपत्तियों के डेटा का समग्र रिकॉर्ड तैयार हो।