
नई दिल्ली: आम घरों से लेकर शहरों तक, गांव-कस्बों से लेकर विकसित देशों तक पति द्वारा पत्नी पर हिंसा आज भी आम समस्या है। पढ़ी-लिखी और वर्किंग महिलाएं भी अपने पति की मार झेलती हैं, लेकिन इसके बावजूद ये बातें बाहर नहीं आतीं।
परिवार की इज्जत और शादी बचाने की मजबूरी
कई महिलाएं पति की मार सहती हैं सिर्फ इसलिए कि शादी और परिवार की इज्जत बनी रहे। कुछ महिलाओं को समाज में बदनामी का डर होता है, जबकि कुछ आर्थिक मजबूरी के चलते अपने पति का घर नहीं छोड़ पातीं। कई महिलाएं अपने बच्चों के भविष्य की चिंता में भी चुप रहती हैं।
पति पर हाथ उठाने के पीछे कारण
- आर्थिक निर्भरता: कई महिलाएं खुद कमाई नहीं करतीं, इस वजह से पति की हिंसा सहती हैं।
- बच्चों के भविष्य की चिंता: आर्थिक रूप से स्वतंत्र महिलाएं भी बच्चों की भलाई और सुरक्षित भविष्य के लिए हिंसा सहती हैं।
- ‘लोग क्या कहेंगे’ का डर: समाज में प्रतिष्ठा खोने और तलाक के डर के कारण महिलाएं अपने अधिकारों के लिए आवाज नहीं उठातीं।
- घर का माहौल: बच्चों के सामने मारपीट देखकर उन्हें भी लगता है कि यह सामान्य है, और इस चक्र में नई पीढ़ी भी प्रभावित होती है।
घरेलू हिंसा से कैसे बचें?
- घरेलू हिंसा वाले माहौल में बच्चों का भविष्य और मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित होता है।
- माता-पिता को बेटी की सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए, उसे मार खाने के लिए ससुराल में अकेला न छोड़ें।
- अगर महिला आर्थिक रूप से सक्षम है, तो कानूनी और सामाजिक सहायता लेकर अपने अधिकारों की रक्षा कर सकती है।
- परिवार और समाज में खुलकर बात करना और मदद लेना महत्वपूर्ण है।
घरेलू हिंसा सिर्फ शारीरिक नहीं, बल्कि मानसिक और भावनात्मक रूप से भी नुकसान पहुंचाती है। समाज को चाहिए कि वह महिलाओं को सुरक्षा, जागरूकता और समर्थन दे ताकि कोई भी महिला डर के चलते अपने अधिकारों से समझौता न करे।