
गाजियाबाद की राजनीति में लंबे समय से सक्रियता से दूर रहे चार बार के पूर्व सांसद डॉ. रमेश चंद तोमर के एकाएक तेज होती गतिविधियों ने राजनीतिक गलियारों में खलबली मचा दी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ उनकी बढ़ती नजदीकियां आगामी चुनावों के संदर्भ में बड़ा संकेत मानी जा रही हैं।
योगी से बढ़ती नजदीकी और सियासी संदेश
पिछले कुछ महीनों में तोमर लगातार सुर्खियों में रहे हैं। सितंबर में उन्होंने अपनी पुस्तक ‘भारत की स्वर्णाभा नरेंद्र मोदी’ के विमोचन कार्यक्रम में मुख्यमंत्री योगी को बुलाकर अपने राजनीतिक विरोधियों को चौंका दिया था। कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री ने भी उनकी खुलकर तारीफ की थी, जिसे तोमर की नई राजनीतिक पारी की शुरुआत माना गया।
अब गुरुवार को मुरादनगर के तरुण सागरम तीर्थ में नवनिर्मित गुफा मंदिर के उद्घाटन समारोह में तोमर ने मुख्यमंत्री योगी के स्वागत और मंच व्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। हैरानी की बात यह रही कि मंच पर मौजूद कई बड़े नेताओं के बीच केवल तोमर को दो बार बुलाया गया, जिससे राजनीतिक हलकों में चर्चा और तेज हो गई।
तोमर की वापसी से विरोधी खेमे में चिंता
डॉ. रमेश चंद तोमर 1991 से 2004 के बीच गाजियाबाद से चार बार सांसद रह चुके हैं। 2004 में हार के बाद वह धीरे-धीरे हाशिये पर चले गए। बाद में वे कांग्रेस में भी गए और फिर 2014 में भाजपा में लौट आए। 2017 के विधानसभा चुनाव में उन्हें धौलाना से टिकट तो मिला, पर वे चुनाव हार गए।
2024 के लोकसभा चुनाव में वी.के. सिंह का टिकट कटने की अटकलों के बीच तोमर ने भी अपनी दावेदारी पेश की थी, लेकिन पार्टी ने उन पर विचार नहीं किया। राजनीतिक विश्लेषक मानते थे कि उनकी सक्रिय राजनीति लगभग समाप्त हो चुकी है। मगर हाल के घटनाक्रमों ने इस धारणा को पूरी तरह बदल दिया है।
2027–2029 के चुनावों का संकेत?
तोमर के लगातार सक्रिय होने और मुख्यमंत्री योगी के साथ मंच साझा करने से यह अटकलें तेज हो गई हैं कि भाजपा उन्हें एक बार फिर आगे बढ़ाने की तैयारी में है।
पार्टी के अंदरूनी समीकरणों और तोमर की छवि को देखते हुए जानकार मानते हैं कि
2027 के विधानसभा चुनाव और 2029 के लोकसभा चुनाव में इसका असर दिखना तय है।
जैन मुनि द्वारा कार्यक्रम में मुख्यमंत्री से “डॉ. तोमर का ध्यान रखने” का अनुरोध भी राजनीतिक संकेतों की ओर इशारा करता है।
बड़े नेताओं की मौजूदगी के बीच तोमर की खास अहमियत
मंच पर मेयर सुनीता दयाल, मंत्री सुनील शर्मा, नरेंद्र कश्यप, विधायक संजीव शर्मा और अजितपाल जैसे कई नेता मौजूद थे। इसके बावजूद दो बार मंच पर बुलाए जाने की विशेषता ने तोमर के राजनीतिक महत्व को एक बार फिर सुर्खियों में ला दिया।
गाजियाबाद की राजनीति में यह बदलाव आने वाले दिनों में बड़े राजनीतिक समीकरणों को प्रभावित कर सकता है।
तोमर की बढ़ती सक्रियता और योगी के साथ बढ़ती निकटता इस बात का संकेत है कि गाजियाबाद में भाजपा की रणनीति में अब उनकी भूमिका दोबारा बड़ी हो सकती है।