Monday, December 1

गजब! वनपाल ने अपने बेटे को ही ठेकेदार और फर्जी मजदूर बनाया, 30 लाख रुपये का घोटाला उजागर

जबलपुर/छिंदवाड़ा: मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा पश्चिमी वन मंडल में करोड़ों की कैम्पा योजना के तहत बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (EOW) ने जांच में पाया कि पदस्थ वनपाल ने अपने ही बेटे को मजदूर और ठेकेदार बताकर लगभग 30 लाख रुपये की शासकीय राशि का गबन किया। मामले में उप वन मंडलाधिकारी सहित चार अधिकारियों-कर्मचारियों पर गंभीर धाराओं में प्रकरण दर्ज हुआ है।

कैसे रचा गया फर्जीवाड़े का पूरा खेल

ईओडब्ल्यू की जांच के अनुसार वर्ष 2015 से 2018 के बीच कैम्पा योजना के अंतर्गत वन परिक्षेत्र परासिया में बड़े पैमाने पर वित्तीय अनियमितताएँ की गईं।

  • वनपाल चेतराम ने अपने पुत्र सुशील चौबे को फर्जी मजदूर दिखाकर 2 लाख 71 हजार रुपये का भुगतान कराया।
  • इसके अलावा बेटे सुनील चौबे की कंपनी अवनी कंस्ट्रक्शन को बाउंड्रीवॉल और अन्य निर्माण कार्यों का ठेका देकर 23 लाख 21 हजार रुपये का भुगतान किया गया।

ईओडब्ल्यू के अनुसार यह भुगतान बिना नियमानुसार स्वीकृति लिए किया गया और अधिकांश राशि वास्तविक कार्य से मेल नहीं खाई।

एक मजदूर के नाम पर दो बार भुगतान

जांच में यह भी सामने आया कि कई मजदूरों को दोहरे भुगतान किए गए। सांवरी परिक्षेत्र में बाउंड्रीवॉल निर्माण के लिए 15 लाख रुपये की स्वीकृति थी, लेकिन मौके पर 6.97 लाख रुपये का ही काम पाया गया। शेष धनराशि हड़प ली गई।
इसके अलावा, स्वीकृति मिलने के बाद भी गलत तरीके से 2 लाख 22 हजार रुपये का भुगतान जारी किया गया, जो सभी सरकारी नियमों का उल्लंघन है।

सीसीटीवी लगाने में भी की गई हेराफेरी

वन मंडल परासिया में चार कमरों में डीवीआर और सीसीटीवी कैमरे स्थापित करने के लिए जारी भुगतान में भी 52 हजार रुपये की अतिरिक्त राशि दी गई। तमाम कोटेशन और बिल नियमों के विपरीत पाए गए।

चार पर दर्ज हुआ मामला, उप वन मंडलाधिकारी पर भी कार्रवाई

EOW ने जांच के बाद निम्न आरोपियों पर गंभीर धाराओं में मामला दर्ज किया है—

  • अनादि बुधोलिया, उप वन मंडलाधिकारी परासिया
  • कीर्ति बाला, परिक्षेत्र अधिकारी सांवरी
  • हीरालाल, वन परिक्षेत्र अधिकारी
  • सुशील चौबे, वनपाल चेतराम का पुत्र

इन पर धारा 409, 120B के तहत शासकीय धन के गबन व आपराधिक साजिश के आरोप तथा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराओं के तहत केस दर्ज किया गया है।
खास बात यह है कि उप वन मंडलाधिकारी 19 साल की सेवा में 17 साल से एक ही स्थान पर पदस्थ रहे हैं, जो गंभीर सवाल खड़े करता है।

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