
समय से पहले होने वाला प्रसव यानी प्रीमैच्योर डिलीवरी आजकल तेजी से बढ़ते मामलों में शामिल है। यह शिशु के स्वास्थ्य के लिए कई तरह के जोखिम लेकर आता है। रेनबो चिल्ड्रेन हॉस्पिटल, दिल्ली की सीनियर कंसल्टेंट-प्रसूति एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. स्वाति सिन्हा के अनुसार, प्रीमैच्योर डिलीवरी के मामले क्यों बढ़ रहे हैं और इससे कैसे बचा जा सकता है, इसके बारे में खास जानकारी दी गई है।
प्रीमैच्योर डिलीवरी क्या है?
जब शिशु का जन्म गर्भावस्था के 37 हफ्ते पूरे होने से पहले होता है, तो इसे प्रीमैच्योर डिलीवरी कहते हैं। इसके बढ़ने के पीछे मुख्य कारण हैं:
- गर्भवती महिला में हाई ब्लड प्रेशर, शुगर, थायरॉइड या किडनी की समस्या
- यूरिन/योनि में इंफेक्शन
- खून की कमी (एनीमिया)
- तनाव, नींद की कमी और असंतुलित डाइट
- देर से मां बनना या एक से ज्यादा बच्चे (जुड़वां/ट्रिप्लेट) होना
शिशु के लिए खतरे
डॉ. सिन्हा बताती हैं कि समय से पहले जन्म लेने वाले शिशु अक्सर सांस लेने में दिक्कत, कम वजन, दूध पीने में परेशानी और विकास में देरी जैसी समस्याओं का सामना करते हैं।
प्रीमैच्योर डिलीवरी से बचने के 5 उपाय
- रूटीन चेकअप जरूरी
प्रेग्नेंसी के दौरान नियमित रूप से डॉक्टर से मिलें। ब्लड प्रेशर, वजन और बच्चे की ग्रोथ की निगरानी से समय रहते खतरे का पता चल जाता है। - संतुलित और पोषक आहार लें
आयरन, कैल्शियम, प्रोटीन, फोलिक एसिड और ओमेगा-3 युक्त भोजन से मां और शिशु दोनों की सेहत सुरक्षित रहती है। जंक और प्रोसेस्ड फूड से बचें। - पर्याप्त पानी पीएं
दिनभर में पर्याप्त पानी पीना बहुत जरूरी है, इससे शरीर हाइड्रेटेड रहता है और सूजन कम होती है। - तनाव से दूर रहें
मानसिक तनाव और अनियमित जीवनशैली प्रीमैच्योर डिलीवरी का खतरा बढ़ा सकते हैं। - हल्की वॉक या एक्सरसाइज
हल्की वॉक या डॉक्टर द्वारा सुझाई गई हल्की एक्सरसाइज से ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है। बिना डॉक्टर की सलाह कोई भी वर्कआउट न करें।
निष्कर्ष:
प्रीमैच्योर डिलीवरी रोकना संभव है अगर गर्भवती महिलाएं सावधानी बरतें और सही जीवनशैली अपनाएं। समय पर चेकअप, संतुलित आहार और तनावमुक्त जीवन शिशु के सुरक्षित जन्म में अहम भूमिका निभाते हैं।