Monday, December 1

संसद तक पहुंच गया AI: अनुवादकों की जगह ले सकती है तकनीक

नई दिल्ली: अब संसद में सदस्यों के भाषण का तत्काल अनुवाद करने के लिए तकनीक भी कदम रख चुकी है। लोकसभा और राज्यसभा में बैठने वाले सांसदों के भाषण का हिंदी, अंग्रेजी और कई प्रादेशिक भाषाओं में तत्काल मौखिक अनुवाद करने के लिए हर सीट पर ईयरफोन लगाए जाते हैं। अब इसके लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) का उपयोग करने की योजना बन रही है, जिसे संसद के वरिष्ठ अधिकारियों ने आगे बढ़ा दिया है।

AI से होगी अनुवाद सेवा में सुधार
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने एसआईएस (SIS) सेवा में AI के उपयोग को मंजूरी दे दी है। इसके लागू होने से 2026 तक पारंपरिक ट्रांसलेशन सर्विस विभाग का अस्तित्व समाप्त होने की संभावना है। वर्तमान में राज्यसभा में 21 और लोकसभा में लगभग 50 स्थायी अनुवादक हैं, जो 22 भारतीय भाषाओं में तत्काल अनुवाद करते हैं।

पहले रोकना पड़ा था AI योजना
लोकसभा में कई सांसद पढ़कर नहीं बल्कि स्वतःस्फूर्त भाषण देते हैं। यही कारण था कि पहले राज्यसभा में AI योजना को लागू नहीं किया जा सका। अब लोकसभा में इसे आगे बढ़ाने की अनुमति मिल गई है।

1960 से संसद में ट्रांसलेशन सर्विस
संसद की तत्काल भाषांतरण सेवा (Translation Service) की शुरुआत 1960 के दशक में हुई थी। इसके तहत अंग्रेजी, हिंदी और अन्य प्रादेशिक भाषाओं के बूथों में विशेषज्ञ अनुवादक बैठते थे और सदन में बोले जाने वाले शब्दों का तुरंत मौखिक अनुवाद करते थे। अब AI की मदद से यह प्रक्रिया और अधिक तेज़ और सटीक होने की उम्मीद है।

निष्कर्ष:
AI तकनीक संसद की कार्यवाही में भाषा की बाधा को खत्म कर सकती है और सांसदों के बीच सहज संवाद और समकालिक अनुवाद को सुनिश्चित कर सकती है। इसके लागू होने के बाद पारंपरिक अनुवादक विभाग का स्वरूप पूरी तरह बदल सकता है।

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