
भोपाल। मध्य प्रदेश सरकार ने आरक्षण और जाति टिप्पणी को लेकर विवादों में घिरे वरिष्ठ आईएएस अधिकारी संतोष वर्मा के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है। सरकार ने बुधवार देर रात उन्हें तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया। इसके साथ ही उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए सात दिन के भीतर जवाब देने का निर्देश दिया गया है। संतोष वर्मा 2011 बैच के अधिकारी हैं और कृषि एवं किसान कल्याण विभाग में उप सचिव के पद पर तैनात थे।
साहित्यिक कार्यक्रम में दिया विवादित बयान
22 नवंबर को भोपाल में आयोजित एक साहित्यिक कार्यक्रम के दौरान संतोष वर्मा ने आरक्षण नीति पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि आरक्षण ने अपना उद्देश्य पूरा कर लिया है और अब यह “स्थायी राजनीतिक हथियार” बन गया है। उनकी एक और टिप्पणी का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, जिसमें उन्होंने कहा—
“आरक्षण का लाभ परिवार के एक सदस्य तक सीमित होना चाहिए, जब तक कोई ब्राह्मण अपनी बेटी मेरे बेटे को न दे दे।”
इस बयान ने कई संगठनों में तीखी प्रतिक्रिया पैदा कर दी। एससी, एसटी, ओबीसी संगठनों के साथ-साथ ब्राह्मण समाज ने भी बयान को आपत्तिजनक, असंवैधानिक और सामाजिक सौहार्द को ठेस पहुंचाने वाला बताया।
सड़क पर उतरे संगठन, पुतला दहन
बयान के विरोध में बुधवार को कई सामाजिक संगठनों ने वल्लभ भवन राज्य सचिवालय के बाहर प्रदर्शन किया। कार्यकर्ताओं ने संतोष वर्मा का पुतला जलाया और उनके खिलाफ एससी/एसटी अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत FIR दर्ज करने की मांग की। प्रदर्शनकारियों के हाथों में पोस्टर थे, जिन पर लिखा था—
“अफसर संविधान नहीं बदल सकते”
“बाबासाहेब की विरासत की रक्षा करो”
सरकार की सख्त कार्रवाई
विवाद बढ़ने पर सामान्य प्रशासन विभाग ने वर्मा को कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए कहा कि उनका बयान अखिल भारतीय सेवा (आचरण) नियम 1968 तथा अखिल भारतीय सेवा (अनुशासन एवं अपील) नियम 1969 का उल्लंघन है और सामाजिक सौहार्द पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है। नोटिस में चेतावनी दी गई है कि निर्धारित समय में जवाब नहीं देने पर एकतरफा विभागीय कार्रवाई की जाएगी।
इसके कुछ घंटे बाद ही सरकार ने उन्हें निलंबित करने का आदेश जारी कर दिया।
पहले भी रहे विवादों में
सूत्रों के अनुसार, संतोष वर्मा पूर्व में भी विवादित टिप्पणियों और मामलों के कारण चर्चा में रहे हैं और एक मामले में उन्हें जेल भी जाना पड़ा था।
सरकार ने स्पष्ट किया है कि कोई भी सिविल सेवक, चाहे उसके पद की वरिष्ठता कुछ भी हो, सार्वजनिक मंच पर ऐसी टिप्पणियां नहीं कर सकता जिससे सामाजिक ताना-बाना प्रभावित हो या संविधानिक मूल्यों पर आंच आए।
मामले को लेकर प्रशासन और राजनीतिक हलकों में चर्चा तेज है, जबकि अधिकारी का जवाब अभी सामने नहीं आया है।