
नई दिल्ली।
सिर्फ 10 साल की उम्र में भारतीय मूल की बोधना शिवानंदन ने शतरंज की दुनिया में तहलका मचा दिया है। ब्रिटेन के लीमिंगटन स्पा में आयोजित यूके ओपन ब्लिट्ज चैंपियनशिप में बोधना ने महिलाओं का पहला पुरस्कार जीतकर सबको चौंका दिया। उन्होंने कुल 15 में से 13.5 अंक हासिल किए और लगातार आठ मुकाबले जीतकर खिताब अपने नाम किया।
हैरो प्राइमरी स्कूल की छात्रा बोधना को इस जीत के साथ £500 की प्राइज मनी भी मिली। अपनी सफलता पर उन्होंने कहा, “मुझे इससे फर्क नहीं पड़ता कि सामने कौन खेल रहा है, मेरे लिए सिर्फ खेल महत्वपूर्ण है।”
दुनिया के शीर्ष खिलाड़ियों को दे चुकी हैं मात
बोधना का यह प्रदर्शन किसी एक उपलब्धि तक सीमित नहीं है। शतरंज की दुनिया में वह तेजी से नई ऊंचाइयां छू रही हैं। पिछले महीने ग्रीस में आयोजित यूरोपीय क्लब कप में उन्होंने पूर्व विश्व चैंपियन और ग्रैंडमास्टर मारिया मुजिचुक को मात देकर बड़ी उपलब्धि हासिल की थी।
इस साल की शुरुआत में वह 2025 ब्रिटिश शतरंज चैंपियनशिप के दौरान 60 वर्षीय ग्रैंडमास्टर पीटर वेल्स को हराकर ग्रैंडमास्टर को हराने वाली सबसे कम उम्र की महिला खिलाड़ी बन गईं। यह रिकॉर्ड उन्होंने 10 साल 5 महीने और 3 दिन की उम्र में बनाया, जिससे उन्होंने 2019 में अमेरिकी खिलाड़ी कैरिसा यिप का रिकॉर्ड भी तोड़ दिया।
बोधना सबसे कम उम्र में WGM (महिला ग्रैंडमास्टर) नॉर्म हासिल करने वाली खिलाड़ी भी बन चुकी हैं।
लॉकडाउन में शुरू किया चेस, अब अंतरराष्ट्रीय पहचान
चौंकाने वाली बात यह है कि बोधना ने शतरंज खेलना लॉकडाउन के दौरान शुरू किया था। कुछ ही सालों में उन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी विशिष्ट पहचान बना ली। वर्ष 2024 में हंगरी में आयोजित शतरंज ओलंपियाड में वह किसी भी खेल में इंग्लैंड की ओर से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिनिधित्व करने वाली सबसे कम उम्र की खिलाड़ी बनीं।
भारतीय मूल, ब्रिटेन में चमकता सितारा
बोधना के माता-पिता तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली के रहने वाले हैं। वर्ष 2007 में वे यूके में बस गए थे। बोधना का जन्म 7 मार्च 2015 को लंदन में हुआ और वर्तमान में वह ग्रेटर लंदन के हैरो में रहती हैं।
कम उम्र में शानदार उपलब्धियों की लंबी फेहरिस्त के साथ बोधना शिवानंदन अब शतरंज जगत में भविष्य की सबसे बड़ी उम्मीदों में से एक मानी जा रही हैं। उनके प्रदर्शन ने न केवल ब्रिटेन में बल्कि भारत में भी गर्व महसूस करवाया है।