
नई दिल्ली।
भले ही महिलाएं पुरुषों की तुलना में अधिक उम्र तक जीवित रहती हों, लेकिन बढ़ती उम्र का असर उनकी याददाश्त और दिमागी क्षमता पर ज्यादा तेज़ी से दिखाई देता है। एम्स गोरखपुर द्वारा किए गए एक अध्ययन में यह चौंकाने वाला निष्कर्ष सामने आया है। यह शोध भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) की मदद से किया गया।
स्टडी के मुताबिक, उम्र के साथ महिलाओं में याददाश्त, ध्यान और सोचने-समझने की क्षमता पुरुषों की तुलना में तेजी से कमजोर होती है। प्रमुख शोधकर्ता डॉ. वेंकटेश ने बताया, ‘जिन बुजुर्गों में कुपोषण था या पेट के आसपास अधिक चर्बी जमा थी, उनमें याददाश्त और सोचने की क्षमता में अधिक गिरावट देखी गई।’
पार्टनर के साथ रहने वालों में बेहतर दिमागी क्षमता
अध्ययन में यह भी पाया गया कि जिन बुजुर्गों का जीवनसाथी नहीं था, उनमें याददाश्त से जुड़ी समस्याएं अधिक पाई गईं। वहीं पार्टनर या परिवार के साथ रहने वाले बुजुर्गों में मानसिक क्षमता और स्मरण शक्ति बेहतर रही। शोधकर्ताओं के अनुसार, भावनात्मक सहारा और सामाजिक समर्थन मानसिक स्वास्थ्य को मजबूत रखते हैं।
खानपान और लाइफस्टाइल का बड़ा असर
स्टडी के निष्कर्ष बताते हैं कि:
- कुपोषण
- मोटापा
- सामाजिक दूरी
- अकेलापन
दिमागी क्षमताओं को तेज़ी से प्रभावित करते हैं। डॉक्टरों ने बताया कि सही और पौष्टिक भोजन, नियमित व्यायाम और सामाजिक जुड़ाव बुजुर्गों के मस्तिष्क को सक्रिय और स्वस्थ रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
पुरुष आगे भाषा और पहचान क्षमता में
अध्ययन में यह भी सामने आया कि भाषा को समझने और चीजों को पहचानने की क्षमता में पुरुष महिलाओं से आगे पाए गए। वहीं अकेले रहने वाले बुजुर्गों में याददाश्त की कमजोरी अधिक देखी गई।
चिकित्सकों का मानना है कि परिवार का साथ, मानसिक रूप से सक्रिय रखने वाली गतिविधियां और स्वस्थ जीवनशैली अपनाने से बुजुर्गों में दिमागी क्षमता को लंबे समय तक सुरक्षित रखा जा सकता है।