Saturday, November 22

सुप्रीम कोर्ट में महिला वकीलों को बड़ी राहत: POSH एक्ट अब उनके कार्यस्थल पर भी होगा लागू

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को महिला वकीलों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। कोर्ट ने वुमन लॉयर्स एसोसिएशन की याचिका पर POSH (Prohibition and Redressal of Sexual Harassment) Act, 2013 के तहत सुनवाई का नोटिस जारी किया। इसका मतलब है कि अब वकीलों के कार्यस्थलों पर होने वाले यौन उत्पीड़न के मामलों में भी यह कानून लागू होगा।

क्या है मामला

वुमन लॉयर्स एसोसिएशन ने बॉम्बे हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी। हाई कोर्ट ने कहा था कि POSH एक्ट वकीलों पर लागू नहीं होता, क्योंकि वकील और बार काउंसिल के बीच नियोक्ता-कर्मचारी (employer-employee) का रिश्ता नहीं होता। इसके अनुसार, बार काउंसिल महिलाओं के लिए सुरक्षा समिति के रूप में जिम्मेदार नहीं है।

लेकिन एसोसिएशन ने तर्क दिया कि यह फैसला सुप्रीम कोर्ट के पहले के निर्णयों के विपरीत है। सुप्रीम कोर्ट पहले ही स्पष्ट कर चुका है कि हर पेशेवर संस्था में आंतरिक शिकायत समिति (Internal Complaints Committee) होनी चाहिए, जो कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न की शिकायतों को सुनती और उसका समाधान करती है।

सुप्रीम कोर्ट की कार्रवाई

जस्टिस बी.वी. नागरत्ना और आर. महादेवन की बेंच ने मामले में नोटिस जारी कर इसे पहले से चल रही एक समान याचिका के साथ जोड़ दिया है।

सीनियर एडवोकेट महालक्ष्मी पावनी ने कोर्ट में तर्क दिया कि हाई कोर्ट का फैसला महिलाओं के पेशेवर सुरक्षा अधिकारों को सीमित करता है। उन्होंने कहा कि POSH एक्ट का उद्देश्य महिलाओं को सुरक्षित और सम्मानजनक कार्यस्थल देना है, न कि इसे केवल नियोक्ता-कर्मचारी संबंध तक सीमित रखना।

महत्व

  • अब महिला वकील भी कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न के खिलाफ शिकायत कर सकेंगी।
  • बार काउंसिल और अन्य पेशेवर संस्थाओं में आंतरिक शिकायत समिति के गठन का मार्ग खुल सकता है।
  • यह फैसला महिलाओं के पेशेवर अधिकारों और सुरक्षा के दृष्टिकोण से ऐतिहासिक महत्व का है।

सुप्रीम कोर्ट की इस सुनवाई से महिला वकीलों को सुरक्षित और सम्मानजनक कार्यस्थल सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी और न्यायिक पेशे में उनके अधिकारों की सुरक्षा मजबूत होगी।

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