
लखनऊ, उत्तर प्रदेश। उत्तर प्रदेश सरकार ने गांवों की जमीनों और घरों के नक्शों को ऑनलाइन करने की तैयारी शुरू कर दी है। यह कदम राज्य में जमीन विवादों को कम करने और आम जनता को सटीक जानकारी मुहैया कराने के लिए उठाया गया है।
सेटेलाइट तकनीक से हाई-रिजॉल्यूशन नक्शा
राजस्व परिषद की ओर से किए जा रहे प्रारंभिक परीक्षणों में 15 से 30 सेंटीमीटर तक की सटीकता दर्ज की गई है, जिससे जमीन की पहचान लगभग त्रुटिहीन होगी। इस प्रणाली के तहत हर गाटा संख्या, खेत और घर को ऑनलाइन नक्शे में टैग किया जाएगा। कोई भी व्यक्ति केवल नंबर डालकर उस स्थान का सटीक लोकेशन और रकबा देख सकेगा।
मोबाइल एप से मिलेगी सुविधा
राजस्व परिषद आम जनता की सुविधा के लिए एक मोबाइल एप भी विकसित कर रही है। इसके माध्यम से ग्रामीण अपने खेतों और घरों का लोकेशन, रकबा और सीमा जानकारी आसानी से देख पाएंगे।
विवादों पर लगाम
उत्तर प्रदेश में कुल 57 हजार से अधिक ग्राम पंचायतें और एक लाख से ज्यादा राजस्व गांव हैं। घर या खेत की बाउंड्री को लेकर अक्सर विवाद उत्पन्न होते रहे हैं। लेकिन अब ऑनलाइन नक्शा और सटीक सेटेलाइट इमेज उपलब्ध होने के बाद सीमांकन संबंधी झगड़ों की संभावना लगभग खत्म हो जाएगी।
डिजिटल मैपिंग से प्रदेश में बड़ा बदलाव
- डिजिटल नक्शा हर प्लॉट का वास्तविक स्थान और रकबा स्पष्ट दिखाएगा।
- ग्रामीणों को अब जमीन के सटीक विवरण के लिए लेखपाल के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे।
- उत्तर प्रदेश इस पहल के साथ देश का पहला ऐसा राज्य बन जाएगा, जो व्यापक स्तर पर डिजिटल ग्राम-मै