
पटना: बिहार में नीतीश कुमार ने बुधवार को 10वीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। उनके साथ कई नए चेहरों ने भी मंत्री पद की शपथ ग्रहण की। इन्हीं में एक नाम है भाजपा नेता रामकृपाल यादव का, जिन्होंने इस चुनाव में दानापुर सीट पर RJD प्रत्याशी रीतलाल यादव को 30 हजार से अधिक वोटों से हराकर बड़ा राजनीतिक उलटफेर किया। लालू यादव के प्रभाव वाले इलाके में भाजपा का परचम लहराने के बाद पार्टी ने उन्हें मंत्री पद देकर सम्मानित किया है।
लालू के सबसे करीबी से सियासी प्रतिद्वंदी तक का सफर
रामकृपाल यादव का जन्म 12 अक्टूबर 1957 को हुआ था। एक समय था जब वे लालू प्रसाद यादव के बेहद करीबी माने जाते थे और उन्हें लालू का “छोटा भाई” भी कहा जाता था।
लेकिन राजनीति में परिस्थितियां कब बदल जाएं, कहना कठिन है—
- लालू को सजा होने के बाद RJD ने रामकृपाल को टिकट नहीं दिया
- उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ा और पाटलिपुत्र सीट से जीत हासिल की
- इसके बाद उन्होंने भाजपा जॉइन कर ली
- केंद्र में ग्रामीण विकास राज्यमंत्री बने
मीसा भारती को दो बार हराया
भाजपा में शामिल होने के बाद रामकृपाल यादव लगातार दो लोकसभा चुनावों (2014 और 2019) में पाटलिपुत्र सीट से मीसा भारती को मात देकर चर्चा में आए।
हालांकि 2024 में उन्हें हार का सामना करना पड़ा, लेकिन भाजपा ने उनकी राजनीतिक पकड़ और संगठनात्मक क्षमता पर भरोसा कायम रखा।
शिक्षा और प्रारंभिक राजनीतिक सफर
- बीए और एलएलबी की पढ़ाई मगध यूनिवर्सिटी, पटना से
- राजनीतिक करियर की शुरुआत 1991 में
- पहली बार पटना लोकसभा सीट से RJD के टिकट पर सांसद बने
- 1996 और 2004 में भी संसद पहुंचे
- 2009 में परिसीमन के बाद पाटलिपुत्र सीट लालू के लिए छोड़ दी, फिर भी लालू यहां से चुनाव हार गए
2025 में बड़ा धमाका—दानापुर में दर्ज की ऐतिहासिक जीत
2025 विधानसभा चुनाव में भाजपा ने रामकृपाल यादव पर एक बार फिर भरोसा जताया और उन्हें दानापुर से टिकट दिया।
परिणाम बेहद शानदार रहे—
- रीतलाल यादव को 30,000+ वोटों से हराया
- लालू परिवार के प्रभाव वाले क्षेत्र में भाजपा की बड़ी जीत
- भाजपा नेतृत्व ने उनके प्रदर्शन को सराहते हुए मंत्री पद देकर सम्मानित किया
बिहार की सियासत में बढ़ता कद
दानापुर की जीत ने साफ कर दिया है कि रामकृपाल यादव अब सिर्फ पटना और पाटलिपुत्र ही नहीं, बल्कि पूरे बिहार की राजनीति में एक मज़बूत नाम बन चुके हैं।
उनकी संगठन क्षमता, जमीन से जुड़ा व्यक्तित्व और लालू परिवार के खिलाफ लगातार जीत दर्ज करने की क्षमता ने भाजपा को उन्हें मंत्रिमंडल में प्रमुख स्थान देने के लिए प्रेरित किया है।
बिहार की राजनीति में ‘राम vs लालू’ का यह अध्याय अब एक नई दिशा ले चुका है—और फिलहाल बढ़त भाजपा के रामकृपाल यादव की ही दिख रही है।