Monday, November 3

पहलगाम हमले में फंसाने की धमकी, 10 लाख की ठगी से पहले पुलिस ने बचाया वरिष्ठ अधिवक्ता को

भोपाल, 3 नवम्बर।
राजधानी में साइबर ठगों ने एक बार फिर अपनी चालबाजी से लोगों को झांसे में लेने का प्रयास किया। इस बार उनके निशाने पर आए शहर के जाने-माने 75 वर्षीय वरिष्ठ अधिवक्ता शमसुल हसन, जिन्हें ठगों ने खुद को पुणे एटीएस का इंस्पेक्टर बताकर “पहलगाम आतंकी हमले” में फंसाने की धमकी दी और 10 लाख रुपये की मांग कर दी। ठगों ने उन्हें लगभग चार घंटे तक लगातार फोन पर उलझाए रखा और कमरे से बाहर न निकलने का आदेश दिया।

लेकिन, अधिवक्ता के परिवार की सूझबूझ और पुलिस की त्वरित कार्रवाई ने उन्हें ठगी का शिकार होने से बचा लिया।

अज्ञात नंबर से आया कॉल

यह मामला कोहेफिजा क्षेत्र की हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी का है, जहां रविवार दोपहर अधिवक्ता शमसुल हसन को एक अज्ञात नंबर से कॉल आया। कॉल करने वाले ने स्वयं को पुणे एटीएस का इंस्पेक्टर बताते हुए कहा कि 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में हुए आतंकी हमले में उनका नाम सामने आया है

कॉलर ने धमकाते हुए कहा कि जब तक “जांच” पूरी नहीं हो जाती, वे कमरे से बाहर न निकलें और किसी से संपर्क न करें। इस दौरान ठगों ने बार-बार फोन कर उन्हें डराने-धमकाने की कोशिश की और कहा कि मामला “ऊपर तक जाएगा”, लेकिन “रफा-दफा” करने के लिए 10 लाख रुपये देने होंगे।

मानसिक रूप से टूटने लगे अधिवक्ता

लगातार धमकियों से परेशान होकर अधिवक्ता मानसिक रूप से असहज हो गए और बोलना बंद कर दिया। उनकी हालत देखकर पत्नी को शक हुआ। जब उन्होंने कई बार पूछताछ की तो अधिवक्ता ने पूरा मामला बताया। तत्पश्चात, उनकी पत्नी ने छोटे बेटे जिया-उल-हसन को बुलाया।

पुलिस की तत्परता से बची ठगी

जिया-उल-हसन ने तुरंत कोहेफिजा थाना और वरिष्ठ अधिकारियों को सूचना दी। खबर मिलते ही डीसीपी अभिनव चौकसे के निर्देशन में पुलिस टीम मौके पर पहुंची और अधिवक्ता को “डिजिटल गिरफ्त” से मुक्त कराया।

पुलिस ने अधिवक्ता की काउंसलिंग की और उन्हें भरोसा दिलाया कि यह पूरी तरह से ठगी का मामला है। टीम ने यह भी समझाया कि किसी भी अधिकारी या जांच एजेंसी द्वारा इस तरह फोन पर धनराशि मांगना असंभव है।

पुलिस की अपील

पुलिस ने नागरिकों से अपील की है कि यदि इस प्रकार का कोई फोन कॉल आए तो भयभीत न हों, धन का कोई लेनदेन न करें, और तुरंत 112 या साइबर क्राइम हेल्पलाइन (1930) पर सूचना दें।

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