Wednesday, November 19

बिहार की सत्ता में ‘बराबरी की जंग’: स्पीकर की कुर्सी पर JDU अड़ी, BJP भी चाहती वही ‘हथियार’—NDA में शुरू हुई अंदरूनी खींचतान

पटना: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में NDA को मिली बंपर जीत के बाद जहां एक ओर जश्न का माहौल है, वहीं दूसरी ओर सत्ता के महत्वपूर्ण पदों को लेकर नई रस्साकशी खुलकर सामने आने लगी है। अब लड़ाई ‘बड़े-छोटे भाई’ की नहीं, बल्कि बराबरी के हिस्सेदारी की बन चुकी है। NDA के भीतर सबसे बड़ा विवाद इस बात पर है कि विधानसभा अध्यक्ष (स्पीकर) किस पार्टी का होगा और डिप्टी सीएम पद किसे मिलेगा।

JDU ‘स्पीकर’ की कुर्सी पर अड़ी – BJP भी चाहती वही सत्ता की चाबी

एनडीए के भीतर इस समय सबसे बड़ी तकरार विधानसभा अध्यक्ष के पद को लेकर है।

  • JDU हर हाल में स्पीकर की कुर्सी अपने पास रखना चाहती है
  • वहीं BJP 2020 की व्यवस्था कायम रखना चाहती है, जिसमें स्पीकर बीजेपी कोटे से था

कहने वाले इसे नीतीश कुमार की आंतरिक रणनीति और जिद भी बता रहे हैं। JDU जानती है कि स्पीकर की कुर्सी सिर्फ एक पद नहीं, बल्कि ऐसा शक्तिशाली हथियार है जिससे किसी भी संभावित राजनीतिक ‘खेल’ को रोका या मोड़ा जा सकता है।

JDU को स्पीकर की कुर्सी क्यों चाहिए?

JDU के रणनीतिकार एक मिसाल देते हैं—
जब जीतन राम मांझी प्रकरण के दौरान JDU में टूट की स्थिति बनी, तब तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी ने कई विधायकों की सदस्यता बचाई थी।
यह उदाहरण JDU को बताता है कि—

विधानसभा अध्यक्ष ही वह पद है जो किसी भी राजनीतिक संकट में ‘तारणहार’ बन सकता है।

BJP के बढ़ते विधायकों की संख्या को देखते हुए JDU आशंकित भी है कि भविष्य में यदि कोई राजनीतिक हलचल हो, तो पार्टी को मजबूत ‘सुरक्षा कवच’ की जरूरत पड़ेगी। इसलिए स्पीकर का पद उनके लिए राजनीतिक–रणनीतिक कवच है।

BJP क्या चाहती है?

BJP का इशारा साफ है—

  • स्पीकर उनका
  • विधान परिषद के सभापति भी
  • और दो डिप्टी सीएम भी भाजपा से

BJP 2020 जैसी ही हिस्सेदारी चाहती है। लेकिन अब स्थिति बदल चुकी है—
2020 में आंकड़ा 43 (JDU) बनाम 74 (BJP) था
अब दोनों 84 और 89 के आसपास हैं।
इसलिए JDU बराबरी की मांग कर रही है।

डिप्टी सीएम का पेंच

JDU अब पुरानी 43-सीट वाली पार्टी नहीं, बल्कि फिर से मुख्य शक्ति के रूप में सामने है।
JDU की मांग है—

  • उन्हें भी डिप्टी सीएम का पद मिले
  • और उनके साथ विश्वसनीय सहयोगी तैनात हो

इसी वजह से विजय चौधरी का नाम तेज़ी से चर्चा में है।

यह मांग केवल सत्ता की हिस्सेदारी नहीं, बल्कि कार्यकर्ताओं में समान शक्ति और सम्मान दिखाने का एक तरीका है।

अब फैसला तीन चरणों से गुजरकर निकलेगा

NDA का अंतिम निर्णय इन बैठकों के बाद तय होगा—

  1. BJP विधायक दल की बैठक
  2. JDU विधायक दल की बैठक
  3. NDA के संयुक्त विधायक दल की बैठक

इन्हीं से तय होगा कि
कौन उप मुख्यमंत्री बनेगा,
कौन स्पीकर की कुर्सी पर बैठेगा,
और सत्ता की बागडोर किसके हाथ में कितनी होगी।
बिहार की राजनीति एक बार फिर दिलचस्प मोड़ पर है।
जीत तो NDA की हुई है, लेकिन अब चुनौती है—
सत्ता की साझेदारी को ‘बराबरी’ और ‘विश्वास’ के संतुलन में बांटने की।

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