
बालाघाट/मध्य प्रदेश: महज एक हफ्ते में चीता, तेंदुआ और अब बाघ—मध्य प्रदेश में बिग कैट प्रजाति पर खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है। बालाघाट जिले के कटंगी इलाके में एक बाघिन का शव मिला है। शव लगभग दो दिन पुराना बताया जा रहा है। बदबू आने पर ग्रामीणों की नजर उस पर पड़ी। यह चार महीने में इस क्षेत्र में दूसरी बाघिन की मौत का मामला है।
ग्रामीणों ने शव देखा, वन विभाग को दी सूचना
वन विभाग के अनुसार, जिले के कटंगी इलाके में घोड़देव बाबा मंदिर के पास बाघिन सोते हुए दिखाई दी थी। आसपास से आती तेज बदबू के कारण ग्रामीणों ने नजदीक जाकर देखा तो बाघिन मृत पाई गई। तत्परता से वन विभाग को सूचना दी गई।
अधिकारियों ने क्षेत्र को किया सील
बाघिन की मौत की जानकारी मिलते ही वन विभाग में हड़कंप मच गया। मौके पर SDO सहित वरिष्ठ अधिकारी पहुंचे और आसपास का इलाका सील कर दिया गया। ताकि किसी भी तरह के साक्ष्यों में छेड़छाड़ न हो और ग्रामीण सुरक्षित रहें।
डॉग स्क्वाड और पोस्टमार्टम से पता लगाया जाएगा कारण
बाघिन की मौत बीमारी या शिकार जैसी किसी घटना का नतीजा है या नहीं, इसकी जांच के लिए बालाघाट और कान्हा नेशनल पार्क से डॉग स्क्वाड बुलाया गया। वनकर्मियों की रातभर चौकसी भी जारी रही। शव का पोस्टमार्टम कराया जा रहा है, ताकि मौत के वास्तविक कारण सामने आ सकें। प्रारंभिक जांच में बाघिन के चारों पंजे और नाखून सुरक्षित पाए गए हैं, जिससे अधिकारियों को शिकार या अवैध कारोबार की संभावना कम लग रही है। वन विभाग के SDO बी.आर. सिरसाम ने मीडिया को बताया कि मामले की गंभीरता से जांच की जा रही है।
पहले भी हो चुकी है बाघिन की मौत
साढ़े चार महीने पहले, 27 जुलाई को जिले के दक्षिण वनमंडल में एक अन्य बाघिन की मौत हुई थी। उस समय शव को तीन दिन तक जंगल में छिपा कर रखा गया और बाद में बिना नियम के जला दिया गया। इस मामले में संबंधित अधिकारियों को बर्खास्त कर हिरासत में लिया गया था।
विशेषज्ञ चेतावनी: वन्यजीव संरक्षण और बिग कैट प्रजातियों की सुरक्षा के लिए यह घटनाएं गंभीर चुनौती पेश कर रही हैं। बालाघाट क्षेत्र में वन विभाग की सतर्कता बढ़ाई गई है ताकि किसी भी तरह के अवैध शिकार या दुर्घटना से इन दुर्लभ बाघों को सुरक्षित रखा जा सके।