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ओंकारेश्वर अभयारण्य वन्यजीव संरक्षण और पर्यटन का बनेगा नया केंद्र : मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव

जबलपुर, 02 नवम्बर 2025।
मध्यप्रदेश स्थापना दिवस के अवसर पर प्रदेशवासियों को एक ऐतिहासिक उपहार मिला है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने ‘अभ्युदय मध्यप्रदेश’ कार्यक्रम के दौरान ओंकारेश्वर अभयारण्य की स्थापना की घोषणा की। यह राज्य का 27वां अभयारण्य होगा, जो खंडवा और देवास जिलों के वन क्षेत्रों को मिलाकर बनाया जाएगा। अभयारण्य का कुल क्षेत्रफल 611.753 वर्ग किलोमीटर होगा, जिसमें खंडवा जिले का 343.274 वर्ग किमी और देवास जिले का 268.479 वर्ग किमी क्षेत्र शामिल रहेगा। स्थानीय मछुआरों और ग्रामीणों की आजीविका प्रभावित न हो, इसलिए डूब क्षेत्र को अभयारण्य से बाहर रखा गया है।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि ओंकारेश्वर अभयारण्य में न केवल बाघों की उपस्थिति रहेगी, बल्कि यह प्रदेश की प्राकृतिक संपदा के संरक्षण और पर्यावरणीय संतुलन के साथ स्थानीय रोजगार सृजन का भी माध्यम बनेगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश में वन्यजीवों के संरक्षण को लेकर सरकार की प्रतिबद्धता अटूट है।

असम से आएंगे जंगली भैंसे और गैंडे
वन विभाग की योजना के अनुसार ओंकारेश्वर अभयारण्य में असम से जंगली भैंसे और गैंडे लाने की तैयारी की जा रही है। मुख्यमंत्री ने बताया कि मध्यप्रदेश पहले ही ‘चीतों के सफल पुनर्स्थापन’ में अग्रणी रहा है और अब नौरादेही अभयारण्य में नामीबिया से आए चीते छोड़े जाएंगे

अभयारण्य का स्वरूप और संरचना
वन विभाग के अनुसार यह अभयारण्य पुनासा, मूंदी, चांदगढ़, बलडी (खंडवा) तथा सतवास, कांटाफोड़, पुंजापुरा और उदयनगर (देवास) परिक्षेत्रों को समाहित करेगा। इसमें कोई राजस्व या वनग्राम शामिल नहीं होगा।
अभयारण्य क्षेत्र में कुल 52 टापू हैं — मूंदी रेंज में 31 और चांदगढ़ रेंज में 21। इनमें बोरियामाल और जलचौकी धारीकोटला को ईको-टूरिज्म केंद्र के रूप में विकसित किया जाएगा।

वन्यजीव और वनस्पतियाँ
यह क्षेत्र समृद्ध जैव विविधता से भरा है। यहाँ की प्रमुख वनस्पतियाँ सागौन, सालई और धावड़ा हैं। मुख्य मांसाहारी जीवों में बाघ, तेंदुआ, रीछ, सियार और लकड़बग्घा, जबकि शाकाहारी प्रजातियों में मोर, चीतल, सांभर, चिंकारा, भेड़की, सेही, खरगोश और बंदर प्रमुख हैं।

ईको-पर्यटन से खुलेगा रोजगार का नया द्वार
ओंकारेश्वर अभयारण्य में पर्यावरण संरक्षण, पर्यटन और ग्रामीण विकास को एक साथ जोड़ते हुए नई पहलें की जाएंगी। यहां होटल-रिसोर्ट, पशुधन एवं कुक्कुट फार्म, लघु वनोपज संग्रहण, सड़कों का विकास, नदी तट संरक्षण और ठोस अपशिष्ट प्रबंधन जैसी गतिविधियां चलाई जाएंगी।
इन पहलों से स्थानीय युवाओं को रोजगार मिलेगा और आसपास के ग्रामीण इलाकों की अर्थव्यवस्था में नई जान आएगी।

पर्यटन से समृद्ध होंगे 20 गांव
अभयारण्य के आसपास के 20 गांवों—अंधारवाडी, चिकटीखाल, सिरकिया, भेटखेडा, पुनासा और नर्मदानगर सहित—में पर्यटन आधारित रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। ईको-टूरिज्म और पारिस्थितिक गतिविधियों के विस्तार से ग्रामीणों की आर्थिक स्थिति और जीवन स्तर में गुणात्मक सुधार होगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि ओंकारेश्वर अभयारण्य केवल वन्यजीव संरक्षण का केंद्र नहीं रहेगा, बल्कि यह क्षेत्र आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर ग्रामीण पर्यटन का नया मॉडल बनकर उभरेगा।

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