Monday, November 17

नोएडा: मोहाली डबल मर्डर केस का आरोपी गिरफ्तार, कैब ड्राइवर–गार्ड–मैनेजर बनकर तीन साल तक बदलता रहा पहचान

नोएडा/मोहाली।
पत्रकार केजे सिंह और उनकी 90 वर्षीय मां गुरचरण कौर की हत्या के मामले में तीन साल से फरार मुख्य आरोपी गौरव कुमार को पुलिस ने नोएडा से गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तारी से बचने के लिए वह लगातार अपनी पहचान बदलता रहा—कभी कैब ड्राइवर, कभी सुरक्षा गार्ड और बाद में सिक्योरिटी मैनेजर बनकर वह शहर में बेरोक-टोक घूमता रहा। इस मामले ने पुलिस सत्यापन प्रणाली की गंभीर खामियों को उजागर कर दिया है।

सेक्टर-36 से दबोचा गया आरोपी

मोहाली पुलिस ने 6 नवंबर को गौरव को नोएडा के सेक्टर-36 से पकड़ा। वह एक बिना पंजीकृत सुरक्षा एजेंसी के माध्यम से डेढ़ साल से गार्ड और प्रबंधक के पद पर काम कर रहा था। शुरुआत में वह सुरक्षा गार्ड था, लेकिन धीरे-धीरे उसने आरडब्ल्यूए का भरोसा जीत लिया।
मार्च 2024 में एजेंसी द्वारा हटाए जाने के बाद भी वह अलग पहचान से सिक्योरिटी मैनेजर बन गया। आरडब्ल्यूए ने उसके सत्यापन की पुष्टि एजेंसी के भरोसे कर ली, जबकि वह फरार आरोपी था।

आरडब्ल्यूए की ओर से अभी तक इस मामले पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है।

कैसे हुआ था वारदात का खुलासा

घटना वर्ष 2017 की है जब मोहाली के पॉश इलाके फेज-3 बी2 में पत्रकार केजे सिंह और उनकी मां की हत्या कर दी गई थी।
किसी बात पर बहस होने के बाद 22-23 सितंबर की रात गौरव ने केजे सिंह पर चाकू से वार किए।
शोर सुनकर बाहर आईं उनकी मां गुरचरण कौर का भी उसने गला दबाकर हत्या कर दी।

हत्याओं को लूटपाट की वारदात दिखाने के लिए वह घर से कार, एटीएम कार्ड और अन्य सामान लेकर फरार हो गया।
बाद में पुलिस ने उसे उसी कार में पकड़ा, जिसमें उसने फर्जी नंबर प्लेट लगा रखी थी।

जमानत पर छूटा और फिर बना भगोड़ा

मूल रूप से बुलंदशहर निवासी गौरव को 2020 में महामारी के दौरान जमानत मिली थी।
रिहा होने के बाद वह न अपने जिले लौटा और न अदालत में पेश हुआ।
लगातार अनुपस्थिति पर उसे 2022 में भगोड़ा घोषित कर दिया गया।

इस दौरान उसने बिना किसी पते या पहचान के निजी कंपनियों में नौकरी की और आराम से नोएडा में रहकर पुलिस से बचता रहा।

“सत्यापन होता तो पहले ही पकड़ लेते” — मोहाली पुलिस

मोहाली के डीएसपी (क्राइम) नवीन पाल सिंह लहल ने बताया कि यह मामला बेहद संवेदनशील था, इसलिए पुलिस लगातार विभिन्न स्थानों पर जांच करती रही।
गौरव ने बेखौफ होकर कंपनियों में नौकरी की, लेकिन उसकी असली पहचान छिपी रही।

डीएसपी के अनुसार:

“अगर समय पर पुलिस सत्यापन प्रक्रिया पूरी की गई होती, तो आरोपी बहुत पहले गिरफ्तार हो सकता था।”

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