Friday, November 14

भारत से इंडोनेशिया तक ग्लोबल वार्मिंग का कहर, COP30 में जंगल बचाने और फंडिंग की पुकार

बेलम, ब्राजील। अमेज़न के घने जंगलों के बीच छोटे शहर बेलम में संयुक्त राष्ट्र का जलवायु सम्मेलन COP30 10 नवंबर से चल रहा है। दुनिया इस समय ग्लोबल वार्मिंग के खतरों से जूझ रही है। भारत, इंडोनेशिया और अन्य देश चरम मौसम की घटनाओं जैसे बाढ़, सूखा, तूफ़ान और हीट वेव से प्रभावित हो रहे हैं।

मुख्य बातें:

  • तीन प्रमुख शब्द: फॉसिल फ्यूल्स, फाइनेंस और फॉरेस्ट। सम्मेलन में लकड़ी, कोयला और पेट्रोल जैसे जीवाश्म ईंधन छोड़कर स्वच्छ ऊर्जा अपनाने की आवश्यकता पर जोर दिया गया।
  • क्लाइमेट रिस्क इंडेक्स 2026: जर्मन वॉच की रिपोर्ट के अनुसार, 1995 से 2024 के बीच 9,700 से अधिक चरम मौसम की घटनाओं में 8,32,000 लोगों की मौत और 4.5 ट्रिलियन डॉलर का आर्थिक नुकसान हुआ। भारत इन सबसे अधिक प्रभावित देशों में नौवें स्थान पर है।
  • फंडिंग की कमी: विकासशील देशों को साल 2035 तक हर साल कम से कम 310 अरब डॉलर की जरूरत है, लेकिन 2023 में मदद केवल 26 अरब डॉलर हुई, यानी आवश्यकता और मदद के बीच 12-14 गुना का अंतर।
  • ब्राज़ील और अजरबैजान का रोडमैप: ‘बाकू-टू-बेलेम रोडमैप’ के तहत 2035 तक 1.3 ट्रिलियन डॉलर की क्लाइमेट फाइनेंस जुटाने की योजना।
  • जंगल बचाने की पहल: ट्रॉपिकल फॉरेस्ट फॉरएवर फैसिलिटी (TFFF) की घोषणा की गई, शुरुआती फंडिंग 5.5 बिलियन डॉलर, जिसमें नॉर्वे 3 बिलियन डॉलर, ब्राज़ील और इंडोनेशिया 1-1 बिलियन और फ्रांस 500 मिलियन डॉलर देगा।

नेताओं का संदेश:

ब्राज़ील के राष्ट्रपति लुईज़ इनासियो लूला दा सिल्वा ने कहा, “दुनिया को अब जीवाश्म ईंधन की लत छोड़नी होगी। टिकाऊ और सस्ती ऊर्जा व्यवस्था अपनाना होगी।” नेताओं से अपील की गई कि वे अपने राष्ट्रीय जलवायु लक्ष्यों को 1.5°C सीमा से जोड़ें।

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