
नई दिल्ली: अमेरिका में नौकरी पाने का सपना देखने वाले भारतीयों के लिए H-1B वीजा अब पहले से कहीं ज्यादा चुनौतीपूर्ण बन गया है। वीजा इंटरव्यू के दौरान एक भी गलत जवाब या हिचकिचाहट आवेदक के लिए महंगी पड़ सकती है।
हाल ही में एक भारतीय वर्कर ने Reddit पर साझा किया कि उसके H-1B वीजा इंटरव्यू में सिर्फ ‘ना’ कहने भर से उसका सपना टूट गया। अमेरिकी वीजा अधिकारी ने उससे पूछा कि क्या उसने DS-160 फॉर्म में अपने सभी सोशल मीडिया अकाउंट की जानकारी दी है। जब उसने इसका जवाब नहीं दिया, तो अधिकारी ने उसका पासपोर्ट भी नहीं लिया और उसे DS-5535 फॉर्म भरने के लिए कहा। इस फॉर्म में सभी सोशल मीडिया अकाउंट्स की डिटेल्स देने के साथ यह सुनिश्चित करना होता है कि ये अकाउंट पब्लिक हों। इसके बाद उसके वीजा आवेदन पर ‘रिफ्यूज्ड’ का स्टेटस दिखने लगा।
सोशल मीडिया जांच अब अनिवार्य
अमेरिका ने 15 दिसंबर से नए नियम लागू किए हैं, जिसके तहत H-1B और अन्य वर्क वीजा के लिए आवेदकों के सोशल मीडिया अकाउंट्स की जांच की जा रही है। अब इंटरव्यू में अधिकारी सीधे पूछते हैं कि क्या आवेदक ने अपने अकाउंट्स की डिटेल्स फॉर्म में दी हैं और क्या उन्हें पब्लिक रखा गया है। अगर जवाब ‘ना’ में आता है, तो आवेदन रिजेक्ट हो सकता है।
DS-160 फॉर्म क्या है?
DS-160 एक ऑनलाइन फॉर्म है, जिसे हर अमेरिकी वीजा के लिए भरना अनिवार्य है। इसमें आवेदकों को पिछले 5 साल में इस्तेमाल किए गए सभी सोशल मीडिया हैंडल—जैसे फेसबुक, इंस्टाग्राम, X (ट्विटर), लिंक्डइन, यूट्यूब, टिकटॉक, रेडिट, स्नैपचैट, व्हाट्सएप, टेलीग्राम, वीचैट आदि—की जानकारी देनी होती है।
विशेषज्ञों की राय:
विशेषज्ञों का कहना है कि H-1B वीजा पाने के इच्छुक भारतीयों को इंटरव्यू में पूरी तैयारी के साथ जाना चाहिए। सोशल मीडिया की जानकारी न देने या कोई जानकारी छिपाने की कोशिश महंगी पड़ सकती है।
अमेरिका में जॉब करने का सपना देखने वाले हर आवेदक के लिए अब यह नियम बेहद गंभीर चेतावनी बन गया है।