
बीजिंग/नई दिल्ली: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दावों के बाद अब चीन ने भी भारत और पाकिस्तान के बीच मई में हुए सैन्य टकराव में मध्यस्थता का दावा किया है। चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने कहा कि चीन ने मई के तनाव को सुलझाने में मध्यस्थता की।
हालांकि, भारत ने बार-बार तीसरे पक्ष की मध्यस्थता को खारिज किया है। भारत का कहना है कि 7 से 10 मई तक चले 88 घंटे के सैन्य टकराव का समाधान दोनों देशों की सेनाओं के डीजीएमओ के बीच सीधी बातचीत के जरिए हुआ था, और इसमें किसी बाहरी हस्तक्षेप की कोई भूमिका नहीं थी।
चीन का बयान और वैश्विक संदर्भ:
वांग यी ने बीजिंग में आयोजित अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में कहा, “स्थायी शांति के लिए हमने एक वस्तुनिष्ठ और तर्कसंगत रुख अपनाया। टकराव के मूल कारणों और लक्षणों दोनों पर ध्यान केंद्रित किया।” उन्होंने बताया कि इसी दृष्टिकोण से चीन ने उत्तरी म्यांमार, ईरान, फिलिस्तीन-इजरायल और कंबोडिया-थाईलैंड संघर्षों में भी मध्यस्थता की।
भारत-पाक सैन्य टकराव का इतिहास:
22 अप्रैल 2025: पहलगाम में आतंकी हमले के जवाब में भारत ने ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया।
7 मई 2025: पाकिस्तान और पीओके में आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया।
7–10 मई 2025: 88 घंटे का सैन्य टकराव, जिसे दोनों देशों की सेनाओं के बीच सीधी बातचीत के जरिए सुलझाया गया।
चीन की भूमिका पर सवाल:
भारत-पाक संघर्ष के दौरान चीन की सैन्य सहायता और पाकिस्तान को हथियार उपलब्ध कराने की भूमिका पर आलोचना उठी। हालांकि चीन ने कूटनीतिक मोर्चे पर संयम की अपील की थी और भारत की एयरस्ट्राइक पर दुख जताया था।
भारत की प्रतिक्रिया:
भारत ने बार-बार कहा है कि भारत-पाक मामले में किसी तीसरे पक्ष का दखल स्वीकार्य नहीं है और सैन्य टकराव पूरी तरह दोनों देशों के नियंत्रण में था।