
नई दिल्ली: इस साल गणतंत्र दिवस परेड में कर्तव्य पथ पर दर्शकों को एक अनोखा और यादगार नजारा देखने को मिलेगा। आर्मी की रिमाउंट एंड वेटरनरी कोर (RVC) का दस्ता पहली बार डबल हंप ऊंट, जांस्कार पोनी और ड्रोन गिराने के लिए प्रशिक्षित चील के साथ परेड का हिस्सा बनेगा।
ईस्टर्न लद्दाख की कठिन परिस्थितियों की झलक
डबल हंप बैक्ट्रियन ऊंट और जांस्कार पोनी का इस्तेमाल ईस्टर्न लद्दाख में सैनिकों को लॉजिस्टिक सपोर्ट देने और पठारी इलाकों में गश्त करने के लिए किया जाता है। इन ऊंटों और घोड़ों की मदद से आवश्यक सामान और रसद माइनस 40 डिग्री तापमान और 18,000 फीट की ऊंचाई तक पहुंचाई जाती है। डबल हंप ऊंट 200 किलो तक का वजन ढो सकते हैं, जबकि जांस्कार पोनी 70 किलो तक का सामान आराम से उठा सकती हैं। इस पहल से न केवल स्थानीय लोगों को रोजगार मिला है, बल्कि घटती हुई डबल हंप ऊंटों की आबादी के संरक्षण का मार्ग भी खुला है।
ड्रोन गिराने वाले चील और ट्रेंड डॉग्स
परेड में चार विशेष चील (रेप्टर्स) भी दिखाई देंगे। इन्हें इस तरह प्रशिक्षित किया गया है कि ये हवा में उड़ते ड्रोन को पल भर में मार गिरा सकते हैं। फिलहाल इनका ऑपरेशनल इस्तेमाल नहीं हो रहा है, लेकिन अन्य देशों के युद्धाभ्यास में इन्हें शामिल किया गया है। दस्ते में 10 ट्रेंड कैनाइन सोल्जर डॉग्स भी होंगे, जो चीलों के साथ मिलकर एंटी ड्रोन सिस्टम का काम करेंगे।
महिला नेतृत्व की झलक
RVC दस्ते का नेतृत्व कैप्टन हर्षिता करेंगी, जो आर्मी वेटरनरी कोर में पहली महिला ऑफिसर बैच की सदस्य हैं। इस परेड में उनकी अगुवाई में ऊंट, पोनी, चील और ट्रेंड डॉग्स का यह विशेष दस्ते पहली बार कर्तव्य पथ पर कदम रखेगा।
इस अनोखे प्रदर्शन से न केवल सेना की तैयारी और साहस का संदेश मिलेगा, बल्कि गणतंत्र दिवस पर दर्शकों को भी ईस्टर्न लद्दाख की कठिन परिस्थितियों और सैनिकों की अदम्य लगन की झलक देखने को मिलेगी।