
भारतीय सशस्त्र बलों की युद्ध क्षमता को और अधिक घातक बनाने की दिशा में रक्षा मंत्रालय ने बड़ा कदम उठाया है। मंत्रालय ने 4,666 करोड़ रुपये की लागत से दो महत्वपूर्ण सैन्य सौदों को मंजूरी देते हुए सेना और नौसेना को अत्याधुनिक हथियारों से लैस करने का फैसला किया है। इस फैसले के तहत जहां थलसेना और नौसेना को 4.25 लाख से अधिक क्लोज‑क्वार्टर बैटल (CQB) कार्बाइन मिलेंगी, वहीं नौसेना की पनडुब्बियों के लिए 48 ब्लैक शार्क हैवी वेट टॉरपीडो भी खरीदे जाएंगे।
मंगलवार को साउथ ब्लॉक स्थित रक्षा मंत्रालय में रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह की मौजूदगी में इन दोनों अनुबंधों पर हस्ताक्षर किए गए। रक्षा मंत्रालय के अनुसार, यह निर्णय ‘आत्मनिर्भर भारत’ और ‘मेक‑इन‑इंडिया’ को मजबूती देने के साथ‑साथ भारतीय सैनिकों को आधुनिक और विश्वस्तरीय हथियार उपलब्ध कराने की दिशा में अहम साबित होगा।
सेना‑नौसेना को मिलेंगी 4.25 लाख से ज्यादा CQB कार्बाइन
रक्षा मंत्रालय ने भारतीय कंपनियों से 2,770 करोड़ रुपये की लागत से 4.25 लाख से अधिक CQB कार्बाइन खरीदने का करार किया है। यह समझौता भारत फोर्ज लिमिटेड और पीएलआर सिस्टम्स (अडानी डिफेंस और इजराइल वेपन इंडस्ट्रीज का संयुक्त उपक्रम) के साथ हुआ है।
समझौते के अनुसार, इन कार्बाइनों का 60 प्रतिशत उत्पादन भारत फोर्ज और शेष पीएलआर सिस्टम्स द्वारा किया जाएगा। अगले पांच वर्षों में इन हथियारों की आपूर्ति सेना और नौसेना को पूरी कर दी जाएगी।
क्यों खास हैं CQB कार्बाइन
रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, ये कार्बाइन पुराने हथियारों की जगह लेंगी और सैनिकों को शहरी इलाकों व सीमित स्थानों में लड़ाई के दौरान बड़ी बढ़त देंगी। छोटा आकार, तेज़ फायरिंग रेट और सटीक निशाना इन्हें क्लोज‑क्वार्टर कॉम्बैट के लिए बेहद प्रभावी बनाते हैं। यह सौदा सरकारी‑निजी साझेदारी का भी मजबूत उदाहरण है।
नौसेना को मिलेंगे 48 ‘ब्लैक शार्क’ टॉरपीडो
दूसरे समझौते के तहत रक्षा मंत्रालय ने 1,896 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से नौसेना के लिए 48 ब्लैक शार्क हैवी वेट टॉरपीडो खरीदने का फैसला किया है। यह सौदा इटली की कंपनी WASS सबमरीन सिस्टम्स S.R.L. के साथ किया गया है।
इन टॉरपीडो को नौसेना की छह कलवरी‑क्लास (स्कॉर्पीन) पनडुब्बियों में तैनात किया जाएगा, जिससे उनकी मारक क्षमता में बड़ा इज़ाफा होगा।
2028 से शुरू होगी डिलीवरी
ब्लैक शार्क टॉरपीडो की आपूर्ति अप्रैल 2028 से शुरू होकर 2030 की शुरुआत तक पूरी की जाएगी। रक्षा विशेषज्ञों के मुताबिक, इन उन्नत टॉरपीडो के शामिल होने से भारतीय नौसेना की पनडुब्बी शक्ति और समुद्री सुरक्षा क्षमता को नई धार मिलेगी।
रक्षा मंत्रालय का कहना है कि ये सौदे न केवल सशस्त्र बलों की ताकत बढ़ाएंगे, बल्कि भारत को रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में भी मील का पत्थर साबित होंगे।