
ढाका। भारत और म्यांमार के साथ बढ़ते तनाव के बीच बांग्लादेश ने अपनी सैन्य तैयारियों को नई धार देना शुरू कर दिया है। बांग्लादेश की वायुसेना तुर्की से Cirit सेमी-एक्टिव लेजर गाइडेड मिसाइल खरीदने की तैयारी में है। यह मिसाइल अत्याधुनिक तकनीक से लैस है और हथियारबंद वाहनों के साथ-साथ तेज़ी से मूव करते लक्ष्यों को सटीक तरीके से तबाह करने में सक्षम मानी जाती है। इस कदम को दक्षिण एशिया में बदलते सैन्य समीकरणों के तौर पर देखा जा रहा है।
रक्षा सूत्रों के अनुसार, बांग्लादेश का लक्ष्य ‘स्मार्ट’ लेजर गाइडेड हथियारों का मजबूत जखीरा तैयार करना है। तुर्की की रक्षा कंपनी रोकेटसान द्वारा निर्मित Cirit मिसाइल को 70 मिमी रॉकेट और एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल के बीच की तकनीकी खाई को भरने वाला हथियार माना जाता है। यह मिसाइल न सिर्फ सस्ती है, बल्कि अटैक हेलिकॉप्टर और ड्रोन जैसे प्लेटफॉर्म पर आसानी से फिट की जा सकती है।
तुर्की–पाकिस्तान मॉडल की ओर बांग्लादेश?
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि शेख हसीना के सत्ता से जाने के बाद मोहम्मद यूनुस के शासन में बांग्लादेश और पाकिस्तान के रिश्तों में नई गर्मजोशी आई है। पाकिस्तान पहले से ही बड़े पैमाने पर तुर्की से हथियार खरीदता रहा है। अब बांग्लादेश का भी तुर्की की ओर झुकाव इसी रणनीतिक धुरी का संकेत देता है। तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन दक्षिण एशिया को हथियार निर्यात का बड़ा बाजार मान रहे हैं।
भारत की सीमा पर बढ़ेगी चुनौती?
बांग्लादेश पहले ही तुर्की से बायरकतार TB-2 ड्रोन खरीद चुका है, जिनका इस्तेमाल भारतीय सीमा पर निगरानी के लिए किया जा रहा है। रिपोर्टों के मुताबिक, Cirit मिसाइलों की तैनाती से बांग्लादेश की वायुसेना भारत से सटे चटगांव हिल ट्रैक्ट्स जैसे इलाकों में दुश्मन ठिकानों को आसानी से निशाना बना सकेगी। यह क्षेत्र सामरिक दृष्टि से बेहद संवेदनशील माना जाता है।
अटैक हेलिकॉप्टर और फाइटर जेट पर भी नजर
बांग्लादेश तुर्की से कम से कम 6 T-129 ATAK अटैक हेलिकॉप्टर खरीदने की योजना पर भी काम कर रहा है। इसके अलावा चौथी पीढ़ी के यूरोफाइटर जेट खरीदने की इच्छा जताई गई है, जिससे बांग्लादेश अपनी वायुसेना को तकनीकी रूप से और मजबूत दिखाना चाहता है।
क्षेत्रीय सुरक्षा पर असर
रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि बांग्लादेश की यह सैन्य खरीद सीधे तौर पर युद्ध की घोषणा नहीं है, लेकिन यह जरूर संकेत देती है कि ढाका अपने पड़ोसियों के साथ शक्ति-संतुलन को नए सिरे से परिभाषित करना चाहता है। भारत के लिए यह घटनाक्रम सतर्कता बढ़ाने वाला है, क्योंकि इससे पूर्वी सीमा पर सैन्य समीकरण बदल सकते हैं।