Tuesday, December 30

केजीएमयू धर्मांतरण मामले की जांच समिति में बदलाव, महिला डॉक्टर और रिटायर्ड आईपीएस भी शामिल

 

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लखनऊ: किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) में कथित लव जिहाद और अवैध धर्मांतरण मामले में जांच समिति में महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं। अब समिति में स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग की अध्यक्ष डॉ. मंजू अग्रवाल और रिटायर्ड आईपीएस अधिकारी भावेश कुमार सिंह को शामिल किया गया है।

 

केजीएमयू प्रशासन ने यह निर्णय विश्व हिंदू परिषद के साथ हुई बैठक के बाद लिया। आरोपी डॉक्टर को निलंबित कर दिया गया है और उन्हें कैंपस में आने पर भी प्रतिबंध लगाया गया है। इस मामले में एफआईआर भी दर्ज की गई है।

 

जांच समिति ने सोमवार शाम बैठक कर मामले की विस्तृत समीक्षा की। केजीएमयू ने एक विशेष ईमेल आईडी factfindingcommittee@kgmcindia.edu जारी की है, ताकि धर्मांतरण से जुड़े सबूत और जानकारी साझा की जा सके।

 

समिति ने प्रारंभिक जांच में पाया कि केजीएमयू में कुल 3,995 संविदा गैर-शिक्षण कर्मचारी हैं, जिनमें से केवल 289 कर्मचारी माइनॉरिटी समुदाय से हैं। पैथालॉजी विभाग में 51 संविदा कर्मचारी हैं, जिनमें से 2 माइनॉरिटी कर्मचारी हैं। वहीं, पीओसीटी में 174 संविदा कर्मचारी हैं, जिनमें 25 माइनॉरिटी कर्मचारी हैं।

 

केजीएमयू प्रशासन ने इस पूरे प्रकरण पर तीन सदस्यीय टीम बनाई है। इसमें प्रो. केके सिंह (समिति अध्यक्ष), प्रो. आरएएस कुशवाहा (कुलानुशासक) और प्रो. अंजू अग्रवाल (स्त्री एवं प्रसूति रोग विभागाध्यक्ष) शामिल हैं, जो आधिकारिक बयान और रिपोर्ट तैयार करेंगे।

 

 

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