Tuesday, December 30

कौन हैं पुरुष आयोग की अध्यक्ष बरखा त्रेहान, जो मर्दों के अधिकारों की आवाज़ बनकर आईं सुर्खियों में?

 

This slideshow requires JavaScript.

 

नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली के जंतर-मंतर पर उन्नाव रेप पीड़िता के समर्थन में चल रहे प्रदर्शन के दौरान उस वक्त अफरा-तफरी मच गई, जब एक महिला ने कुलदीप सिंह सेंगर के समर्थन में तख्ती लहराई। तख्ती पर लिखा था— “I Support Kuldeep Sengar”। यह महिला कोई और नहीं, बल्कि स्वयं को पुरुष आयोग की अध्यक्ष बताने वाली बरखा त्रेहान थीं। उनके इस कदम से प्रदर्शनकारियों में आक्रोश फैल गया और मौके पर नारेबाज़ी व हल्की झड़प तक की स्थिति बन गई।

 

इस घटनाक्रम के बाद बरखा त्रेहान अचानक राष्ट्रीय बहस के केंद्र में आ गईं। सोशल मीडिया से लेकर राजनीतिक गलियारों तक यह सवाल गूंजने लगा— आखिर कौन हैं बरखा त्रेहान?

 

पुरुष आयोग की अध्यक्ष होने का दावा

 

बरखा त्रेहान दिल्ली की रहने वाली हैं और वह खुद को पुरुष आयोग नामक एक एनजीओ की अध्यक्ष बताती हैं। उनके अनुसार यह संगठन पुरुषों के अधिकारों, झूठे आरोपों और सभी जेंडर के लिए समान न्याय की वकालत करता है। उनका कहना है कि समाज में पुरुषों की समस्याओं पर बात करने वालों की कमी है और उनका संगठन इसी खाली जगह को भरने का प्रयास कर रहा है।

 

लेखक, TEDx स्पीकर और फिल्ममेकर

 

बरखा त्रेहान एक TEDx स्पीकर, लेखिका और सामाजिक टिप्पणीकार भी हैं। वह विभिन्न समाचार पत्रों और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स के लिए लेखन करती रही हैं। इसके अलावा उन्होंने पुरुषों की सामाजिक स्थिति पर आधारित डॉक्यूमेंट्री “The Curse of Manhood” का निर्देशन भी किया है, जिसमें पुरुषों पर सामाजिक अपेक्षाओं और कानून के प्रभावों को दिखाने का दावा किया गया है।

 

कुलदीप सेंगर को लेकर क्या बोलीं बरखा त्रेहान?

 

उन्नाव रेप केस के दोषी कुलदीप सिंह सेंगर को मिली बेल पर बरखा त्रेहान ने कहा कि बेल मिलना कानून की प्रक्रिया का हिस्सा है और यह किसी भी आरोपी का मौलिक अधिकार है। उन्होंने कहा कि सेंगर पिछले आठ वर्षों से जेल में बंद है और अदालत ने उसे निर्दोष नहीं ठहराया है, बल्कि सिर्फ बेल दी है।

 

बरखा त्रेहान का कहना है कि रेप जैसे गंभीर मामलों पर राजनीति बंद होनी चाहिए और न्याय सड़कों पर नहीं, अदालतों में होता है। उन्होंने जंतर-मंतर पर हो रहे विरोध को राजनीतिक रूप से प्रेरित करार दिया।

 

निक्की भाटी केस में भी आई थीं सामने

 

बरखा त्रेहान इससे पहले निक्की भाटी की मौत के मामले में भी चर्चा में आई थीं। वह मृतका के पति विपिन के गांव पहुंची थीं और वहां जाकर दूसरे पक्ष की बात सुनने की कोशिश की थी। बरखा का दावा है कि इस केस में पुलिस ने सिर्फ एक पक्ष की कहानी के आधार पर कार्रवाई की और निर्दोष लोगों को भी जेल भेज दिया गया।

 

उन्होंने गांव की महिलाओं से बातचीत के बाद कहा था कि हर मामले में दोनों पक्षों को सुना जाना चाहिए, तभी न्याय संभव है।

 

विवादों में रहने वाली लेकिन मुखर आवाज़

 

बरखा त्रेहान खुद को भले ही पुरुष अधिकारों की पैरोकार बताती हों, लेकिन उनके बयान और कदम अक्सर विवादों को जन्म देते हैं। उनके समर्थक उन्हें संतुलित न्याय की आवाज़ मानते हैं, जबकि आलोचक आरोप लगाते हैं कि वह संवेदनशील मामलों में पीड़िताओं के दर्द को नज़रअंदाज़ करती हैं।

 

फिलहाल, जंतर-मंतर की घटना के बाद बरखा त्रेहान एक बार फिर सुर्खियों में हैं और उनके विचारों को लेकर देशभर में तीखी बहस छिड़ चुकी है।

 

 

Leave a Reply