
गोरखपुर: बीआरडी मेडिकल कॉलेज में एक ऐसा छात्र है, जिसने पिछले 11 साल से हॉस्टल का कमरा ही अपना घर बना रखा है। आजमगढ़ निवासी श्रीकांत सरोज ने 2014 में सीपीएमटी के माध्यम से एमबीबीएस में प्रवेश लिया था। प्रथम वर्ष की परीक्षा में सभी विषयों में असफल होने के बाद, वह अब तक फर्स्ट ईयर में ही अटका हुआ है।
छात्रावास में ही बना ठिकाना
श्रीकांत ना तो किसी परीक्षा में शामिल होता है, ना ही क्लास अटेंड करता है। इसके बावजूद, वह लगातार हॉस्टल में बना हुआ है और छात्रों और प्रोफेसरों द्वारा उसे मजाकिया अंदाज में ‘दरोगा’ कहा जाता है। इसकी प्रमुख वजह है कि उसके पिता यूपी पुलिस में दरोगा हैं।
प्रबंधन के प्रयास नाकाम
छात्र के संदर्भ में वार्डन ने छह बार प्रबंधन को पत्र लिखा, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। कॉलेज प्राचार्य डॉ. रामकुमार जायसवाल का कहना है कि छात्र आरक्षण नियमों का फायदा उठाते हुए हॉस्टल में रह रहा है। कई बार छात्र से बात की गई और उसके पिता से भी चर्चा हुई, लेकिन कोई सुधार नहीं हुआ।
नेशनल मेडिकल काउंसिल को दी जाएगी जानकारी
एनएमसी के नियमों के अनुसार, एमबीबीएस के प्रथम वर्ष की परीक्षा के लिए अधिकतम चार प्रयास मिलते हैं और पूरे कोर्स को 9 साल में पूरा करना अनिवार्य है। इसके अलावा 75% थ्योरी और 80% प्रैक्टिकल में उपस्थिति जरूरी है। श्रीकांत इस नियम का उल्लंघन कर रहा है, जिसके चलते नेशनल मेडिकल काउंसिल को जानकारी देकर कार्रवाई कराई जाएगी।
छात्र और हॉस्टल का यह मामला मेडिकल शिक्षा में असामान्य उदाहरण के रूप में सामने आया है, जो प्रबंधन और नीतियों की सख्ती को चुनौती देता है।