
मुंबई:
महाराष्ट्र में दिसंबर महीने में होने वाले नगर निगम चुनाव (BMC Election) से पहले सियासी माहौल गरमा गया है। ठाकरे ब्रदर्स — उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे — दशकों बाद पहली बार एक साथ राजनीतिक मंच पर नज़र आ रहे हैं। वहीं, बीजेपी नेताओं के बयानों से राजनीतिक तापमान और बढ़ गया है।
महाराष्ट्र के मंत्री मंगल प्रभात लोढ़ा के एक बयान ने उद्धव ठाकरे खेमे और बीजेपी के बीच खुली जंग छेड़ दी है। लोढ़ा ने बीएमसी और ठाकरे नेतृत्व वाली शिवसेना (यूबीटी) पर न केवल कुप्रबंधन और भ्रष्टाचार के आरोप लगाए, बल्कि अपने एक विवादित बयान से विवादों में भी घिर गए हैं।
🔸 बीएमसी और उद्धव पर मंत्री का हमला
मंत्री मंगल प्रभात लोढ़ा हाल ही में मुंबई के केईएम अस्पताल के निरीक्षण पर पहुंचे, जहां उन्होंने अव्यवस्था पर तीखी प्रतिक्रिया दी।
उन्होंने कहा —
“अस्पताल में मरीजों के बैठने की जगह नहीं, इलाज में देरी होती है, जबकि स्टाफ एसी कमरों में आराम कर रहा है। बीएमसी के तहत चल रहे अस्पतालों की हालत देखकर मैं बेहद निराश हूं।”
लोढ़ा ने सीधे तौर पर कहा कि पिछले 20 सालों से शहर पर शासन करने वाले लोग — यानी उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली बीएमसी — इस दुर्दशा के लिए जिम्मेदार हैं।
🔸 “सारे दलाल खान हैं” — मंत्री के बयान से मचा बवाल
अस्पताल की हालत पर बात करते-करते मंत्री लोढ़ा ने नागरिक लाइसेंसिंग विभाग में भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाया और विवादित टिप्पणी कर दी।
उन्होंने कहा —
“शहर में सारे दलाल खान हैं, जो लोगों से लाइसेंस के नाम पर लाखों रुपये वसूल रहे हैं और मुंबई को लूट रहे हैं।”
जब एनडीटीवी ने उनसे पूछा कि क्या वे इस बयान से पूरे समुदाय को निशाना बना रहे हैं, तो लोढ़ा ने जवाब दिया —
“अगर कोई गलत है, तो कार्रवाई उसी पर होगी, चाहे वह कोई भी हो।”
बीजेपी का यह बयान विपक्ष के निशाने पर आ गया है। शिवसेना (यूबीटी) ने इसे सांप्रदायिक राजनीति बताते हुए कड़ी प्रतिक्रिया दी है।
🔸 ठाकरे ब्रदर्स एकजुट — ‘मराठी फर्स्ट’ एजेंडा फिर केंद्र में
राज और उद्धव ठाकरे इस बार अपने पारंपरिक ‘मराठी माणूस’ और ‘मराठी गौरव’ के मुद्दे को केंद्र में रखकर चुनावी मैदान में हैं। उनकी संयुक्त मौजूदगी मुंबई के स्थानीय वोट बैंक में नई राजनीतिक लहर पैदा कर रही है।
उधर, बीजेपी ने अपने प्रचार अभियान को “तेज हिंदू नैरेटिव” की दिशा में मोड़ा है।
मुंबई बीजेपी अध्यक्ष अमित सतम ने हाल ही में कहा था —
“अगर उद्धव ठाकरे सत्ता में लौटते हैं तो मुंबई को ‘खान मेयर’ मिल सकता है।”
इस बयान ने चुनावी बहस को और सांप्रदायिक मोड़ दे दिया है।
🔸 पृष्ठभूमि — 2017 के बाद पहली बार होगा बीएमसी चुनाव
बीएमसी का पिछला चुनाव 2017 में हुआ था। 2022 में बीएमसी का कार्यकाल खत्म होने के बाद से मुंबई महा-यूति सरकार के अधीन प्रशासनिक रूप से संचालित हो रही है। अब दिसंबर में होने वाले चुनावों से पहले बीजेपी और उद्धव गुट के बीच तीखी बयानबाज़ी ने मुकाबले को और दिलचस्प बना दिया है।
📍 निष्कर्ष:
बीएमसी चुनाव 2025 सिर्फ स्थानीय प्रशासन का नहीं, बल्कि मराठी बनाम हिंदू नैरेटिव की जंग बन चुका है। ठाकरे ब्रदर्स की एकजुटता जहां मराठी अस्मिता को मजबूत कर रही है, वहीं बीजेपी नेताओं के बयान चुनाव को सांप्रदायिक मोड़ दे रहे हैं। आने वाले हफ्तों में मुंबई की सियासत और गरमाने वाली है।