
मोतिहारी (बिहार):
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के दूसरे चरण की वोटिंग के बीच बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। राष्ट्रीय जनता दल (RJD) की शिकायत पर मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने त्वरित कार्रवाई करते हुए भारतीय जनता पार्टी (BJP) के दो पोलिंग एजेंटों को गिरफ्तार कर लिया है।
आरजेडी ने आरोप लगाया कि मोतिहारी विधानसभा के बूथ नंबर 229 और 230 पर बीजेपी के पोलिंग एजेंट मतदाताओं को उम्मीदवारों की तस्वीरें और चुनाव चिह्न वाली पर्चियां दिखाकर बांट रहे थे, जिससे मतदान प्रक्रिया प्रभावित हो सकती थी।
🔸 आरजेडी की शिकायत और चुनाव आयोग की कार्रवाई
आरजेडी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर पोस्ट करते हुए लिखा
“मोतिहारी विधानसभा के बूथ नंबर 229 और 230 में बूथ के अंदर जानबूझकर मतदाताओं को दिखा-दिखाकर फोटो और चुनाव चिह्न वाली पर्चियां बीजेपी पोलिंग एजेंट द्वारा बांटी जा रही हैं! ऐसी ही शिकायतें मोतिहारी के कई बूथों से मिल रही हैं।”
पार्टी ने अपनी पोस्ट में बिहार निर्वाचन आयोग को टैग किया, जिसके बाद आयोग ने संज्ञान लेते हुए तत्काल कार्रवाई की।
आयोग की ओर से जारी बयान में कहा गया
“मामले की जांच के बाद प्राथमिकी दर्ज की गई है और दो व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया है।”
🔸 सोशल मीडिया पर सक्रिय हुई आरजेडी
चुनाव के दौरान आरजेडी ने अपने आधिकारिक ‘एक्स’ अकाउंट से लगातार शिकायतें और अपीलें पोस्ट कीं। पार्टी ने लिखा
“सत्ता नहीं चाहिए! तेजस्वी यादव को बिहार को आगे बढ़ाने का मौका चाहिए! युवाओं को रोजगार और अवसर चाहिए! आज पहले मतदान, फिर जलपान!”
🔸 दूसरे चरण में 20 जिलों की 122 सीटों पर मतदान
मंगलवार को सुबह 7 बजे से मतदान शुरू हुआ। चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार सुबह 9 बजे तक औसतन 14.55% मतदान दर्ज किया गया।
जिला वार मतदान प्रतिशत इस प्रकार रहा —
- पश्चिमी चंपारण: 15.04%
- पूर्वी चंपारण: 14.11%
- शिवहर: 13.94%
- सीतामढ़ी: 13.49%
- मधुबनी: 13.25%
- सुपौल: 14.85%
- अररिया: 15.34%
- किशनगंज: 15.81%
- पूर्णिया: 15.54%
- कटिहार: 13.77%
- भागलपुर: 13.43%
- बांका: 15.14%
- कैमूर: 15.08%
- रोहतास: 14.16%
- अरवल: 14.95%
- जहानाबाद: 13.81%
- औरंगाबाद: 15.43%
- गया: 15.97%
- नवादा: 13.46%
- जमुई: 15.77%
📌 निष्कर्ष:
बिहार चुनाव के दूसरे चरण में जहां वोटिंग उत्साहपूर्वक जारी है, वहीं चुनाव आचार संहिता उल्लंघन के मामलों ने सियासी माहौल को गर्म कर दिया है। मोतिहारी की यह घटना चुनावी पारदर्शिता पर सवाल खड़े करती है, हालांकि चुनाव आयोग की त्वरित कार्रवाई ने यह संकेत दिया है कि निष्पक्ष चुनाव के लिए सख्ती बरती जाएगी।