
सुप्रीम कोर्ट थोड़ी देर में सीबीआई की उस याचिका पर सुनवाई करेगा, जिसमें उन्नाव रेप मामले में दोषी पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर की आजीवन कारावास की सजा को निलंबित करने वाले दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती दी गई है। इस मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस जे.के. माहेश्वरी और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की तीन सदस्यीय पीठ करेगी।
सीबीआई की दलीलें
सीबीआई ने याचिका में सुप्रीम कोर्ट के एल.के. आडवाणी मामले के फैसले का हवाला दिया है, जिसमें कहा गया था कि सांसद या विधायक जैसे सार्वजनिक पद पर रहने वाला व्यक्ति लोकसेवक माना जाएगा। सीबीआई का कहना है कि हाई कोर्ट ने गलत निर्णय लिया है, यह कहते हुए कि अपराध के समय सेंगर लोकसेवक नहीं था।
हाई कोर्ट का आदेश और विवाद
दिल्ली हाई कोर्ट ने 23 दिसंबर को सेंगर की उम्रकैद की सजा को निलंबित कर दिया था। हाई कोर्ट ने आदेश में कहा कि सेंगर पहले ही सात साल पांच महीने जेल में बिता चुका है। सेंगर ने दिसंबर 2019 के निचली अदालत के फैसले को चुनौती दी थी।
सार्वजनिक प्रतिक्रिया
उन्नाव के 2017 के दुष्कर्म मामले की पीड़िता, उसके परिवार और कार्यकर्ताओं ने दिल्ली के जंतर-मंतर पर सेंगर की उम्रकैद निलंबित किए जाने के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। पीड़िता ने कहा कि उनके परिवार को और सुरक्षा प्रदान की जानी चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले से न केवल सेंगर की सजा पर असर पड़ेगा, बल्कि देश में न्यायपालिका की जवाबदेही और संवैधानिक सुरक्षा के प्रति आम जनता की निगाहें भी टिकेंगी।