
लखनऊ: उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने शनिवार को महाराजा खेतसिंह खंगार को उनकी जयंती पर याद किया और उन्हें महान योद्धा एवं कुशल प्रशासक बताया।
खंगार राजवंश मूल रूप से सौराष्ट्र के चूड़ासमा यदुवंशी क्षत्रियों से जुड़ा है। महाराजा खेतसिंह खंगार का जन्म 27 दिसंबर, 1140 ईस्वी को गुजरात के जूनागढ़ में हुआ था। बचपन में ही 12 साल की उम्र में उन्होंने जंगली शेर को पकड़कर चीर दिया था, जिससे उन्हें ‘शेर-चिरा’ की उपाधि मिली।
महाराजा खेतसिंह खंगार ने 1182 ईस्वी में गढ़कुंडार को अपनी राजधानी बनाकर जिझौतिखंड (वर्तमान बुंदेलखंड) को स्वतंत्र हिंदू गणराज्य घोषित किया। वे पृथ्वीराज चौहान के प्रधान सामंत थे और मुहम्मद गोरी के खिलाफ 17 बार युद्ध लड़े। 1181 ईस्वी में उन्होंने महोबा के पास उरई के मैदान में पृथ्वीराज चौहान के साथ मिलकर आल्हा और ऊदल जैसे वीरों को हराया। इस युद्ध में ऊदल मारा गया और आल्हा भागने को मजबूर हुआ।
उनकी वीरता और प्रशासनिक कौशल का प्रमाण आज भी गढ़कुंडार किले में मौजूद है। महाराजा खेतसिंह खंगार ने अपने शासनकाल में राजस्व और कानून-व्यवस्था को सुदृढ़ किया और बुंदेलखंड में स्वतंत्र हिंदू गणराज्य की स्थापना की। उनका निधन 30 अगस्त, 1212 ईस्वी को हुआ। उनके बाद उनके पुत्रों ने खंगार वंश की विरासत को लगभग 165 वर्षों तक आगे बढ़ाया।
आज भी हर साल 27 दिसंबर को उनकी जयंती पर तीन दिन का मेला लगता है। गढ़कुंडार का किला और वहां बने स्मारक उनके शौर्य की जीवंत गवाही देते हैं, जहां उन्हें घोड़े पर सवार और तलवार लिए हुए दर्शाया गया है।