
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती पर केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने उन्हें लोकतंत्र का सच्चा संरक्षक, राष्ट्र को साहस और करुणा का संतुलन सिखाने वाला तथा मानवता से ओतप्रोत राजनेता बताते हुए भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने कहा कि अटल जी की बेदाग और दूरदर्शी विरासत आज भी मोदी सरकार के परिवर्तनकारी कार्यों को निरंतर प्रेरणा दे रही है।
पीयूष गोयल ने अटल जी को केवल एक राजनेता नहीं, बल्कि शासन को संवेदनशील, प्रभावी और भ्रष्टाचार-मुक्त बनाने की मिसाल बताया। उन्होंने कहा कि सुशासन, समावेशिता और राष्ट्रवाद के साथ मानवता का संगम अटल जी के नेतृत्व की पहचान थी—इसी कारण 25 दिसंबर को सुशासन दिवस के रूप में मनाया जाता है।
कंचों का खेल और ‘चाचाजी’ की सीख
अपने निजी संस्मरण साझा करते हुए पीयूष गोयल ने बताया कि बचपन में मुंबई स्थित उनके घर पर अटल जी का नियमित प्रवास होता था। “एक दोपहर, जब मैं बैठक में कंचे खेल रहा था और निशाना चूक रहा था, तब उन्होंने पास बैठकर अपनी तर्जनी से सटीक निशाना लगाया। उस पल ने ‘चाचाजी’—जैसा कि हम बच्चे उन्हें कहते थे—के साथ एक आत्मीय रिश्ता बना दिया,” उन्होंने कहा।
स्कूल के दिनों की एक और याद साझा करते हुए गोयल ने बताया कि छुट्टियों के दौरान वे अटल जी को पश्चिमी महाराष्ट्र के दौरे पर विदा करने हवाई अड्डे पहुंचे थे। छुट्टियां शुरू होने की बात जानकर अटल जी ने उन्हें साथ चलने का निमंत्रण दिया और पहले ही पड़ाव पर उनके लिए कपड़े व कोल्हापुरी चप्पलें खरीदीं—यह उनकी सादगी और संवेदनशीलता का जीवंत उदाहरण था।
संस्कृति, संगीत और राजनीति से ऊपर संवाद
गोयल ने सांगली में लता मंगेशकर को समर्पित अटल जी के उस भाषण को याद किया, जिसमें उन्होंने लगभग एक घंटे तक भारतीय संस्कृति, परंपरा और संगीत पर विचार रखे—बिना राजनीति का एक शब्द बोले। उन्होंने इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मन की बात से जोड़ा, जो राजनीति से ऊपर उठकर समाज से सीधा संवाद स्थापित करता है।
हिंदी का गौरव, वैश्विक मंच पर भारत की आवाज
अटल जी को भारत की सभ्यतागत चेतना में रचा-बसा नेता बताते हुए गोयल ने याद दिलाया कि वे संयुक्त राष्ट्र महासभा को हिंदी में संबोधित करने वाले पहले भारतीय नेता थे। इसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए प्रधानमंत्री मोदी आज वैश्विक मंचों पर राष्ट्रीय भाषा का सशक्त प्रयोग कर रहे हैं।
विरासत जो आज भी प्रेरित करती है
गोयल ने बताया कि उनके निर्वाचन क्षेत्र उत्तर मुंबई में अटल जी के नाम पर कौशल विकास एवं रोजगार केंद्र संचालित है। साथ ही, नवाचार और वैज्ञानिक सोच को बढ़ावा देने के लिए सरकारी स्कूलों में 50,000 अटल टिंकरिंग लैब स्थापित करने का प्रावधान उनकी सोच की निरंतरता है।
उन्होंने कहा कि अटल जी के कार्यकाल में भारत के परमाणु परीक्षणों ने राष्ट्र की शक्ति को प्रदर्शित किया, वहीं संवेदनशीलता और करुणा उनकी शासन-शैली का अभिन्न अंग रही। आज यह संतुलन प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में राष्ट्रीय सुरक्षा को सुदृढ़ करने के साथ-साथ मुफ्त आवास, शौचालय, अनाज, गैस कनेक्शन, स्वास्थ्य सेवा और प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण जैसी जनकल्याणकारी योजनाओं में परिलक्षित होता है।
सुधार का अर्थ—हर नागरिक का जीवन स्तर
वर्ष 2000 के स्वतंत्रता दिवस भाषण को उद्धृत करते हुए गोयल ने कहा, “अटल जी ने स्पष्ट कहा था—सुधार का अर्थ प्रत्येक नागरिक के जीवन स्तर में सुधार है।” उनकी सरकार ने बैंकिंग, दूरसंचार, बीमा, पेंशन और विनिवेश जैसे क्षेत्रों में ऐतिहासिक सुधार किए, साथ ही सार्वभौमिक प्राथमिक शिक्षा और अंत्योदय अन्न योजना जैसी सामाजिक पहलों का विस्तार किया। आज प्रधानमंत्री मोदी इन सुधारों को मिशन मोड में आगे बढ़ा रहे हैं।
‘अंधेरा छटेगा, सूरज निकलेगा, कमल खिलेगा’
भाजपा के संस्थापक सदस्य और पहले अध्यक्ष के रूप में अटल जी का योगदान स्मरण करते हुए गोयल ने 1980 के पहले राष्ट्रीय सम्मेलन की उनकी ऐतिहासिक पंक्तियां दोहराईं—“अंधेरा छटेगा, सूरज निकलेगा, कमल खिलेगा।” उन्होंने कहा कि अटल जी भाजपा के लिए केवल अतीत नहीं, बल्कि वर्तमान और भविष्य के नैतिक मार्गदर्शक हैं।
अंत में पीयूष गोयल ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत, अटल बिहारी वाजपेयी के सपनों और वादों को साकार करने की दिशा में निरंतर अग्रसर है—यही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि है।